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Written By WD

हर तिथि से शुभ है अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया यानी हर घड़ी शुभ!

Akshaya Tritiya festival
अक्षय तृतीया एवं परशुराम जयंती वैशाख शुक्ल की तृतीया मनाई जाएगी। भारतीय ज्योतिष में कुछ अति विशिष्ट तिथियों में अक्षय तृतीया का उल्लेख प्रमुखता से किया जाता है। यह तिथि ऐसी तिथि के रूप में मान्य है, जिसका कभी क्षय या विनाश नहीं होता, इसलिए इस दिन सभी पुण्य कार्य किए जाते हैं।
 
ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ. दीपक शर्मा ने बताया कि अक्षय तृतीया की तिथि भगवान विष्णु के तीन अवतारों से घनिष्ठ रूप से संबंधित हैं। नर नारायण अवतार, परशुराम अवतार और हयग्रीव अवतार अक्षय तृतीया के दिन ही जन्मे थे। भगवान परशुराम विष्णु के छठवें अवतार थे। वैशाख शुक्ल की तृतीया की रात्रि के प्रथम प्रहर में भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। स्कंद पुराण एवं भविष्य पुराण में भगवान परशुराम के जन्म पत्रिका उपलब्ध है।
 
भगवान परशुराम के जन्म पत्रिका में नवग्रहों में से आठ ग्रहों की उच्चता है। इसलिए भगवान परशुराम का विष्णु के अवतार के रूप में जन्म हुआ। अक्षय तृतीया के दिन से बद्रीनारायण के पट खुलते हैं। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में केवल अक्षय तृतीया के दिन श्री विग्रह के दर्शन होते हैं अन्यथा पूरे वर्ष वस्त्रों से ढंके रहते हैं।
 
नए कार्य शुरू करने के लिए इस तिथि को शुभ माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु को सत्तू का भोग लगाया जाता है और प्रसाद में इसे ही बांटा जाता है। इस दिन गरीबों को चावल, नमक, घी, फल, वस्त्र, मिष्ठान्न आदि का दान करना चाहिए और व्रत रखना चाहिए।
 
अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान करके जौ का हवन, जौ का दान, सत्तू को खाने से मनुष्य के सब पापों का नाश होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति पर जो व्यक्ति चंदन या इत्र का लेपन करेगा, वह व्यक्ति अंत में बैकुंठ को प्राप्त होता है।
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