बुधवार, 10 दिसंबर 2025
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. ज्योतिष आलेख
  4. Why does Kharmas last, What should one do during this month
Written By WD Feature Desk

Kharmas 2025: खरमास क्यों रहता है क्या करना चाहिए इस माह में?

Kharmas
Kharmas Ke Baren me Janen: खरमास हिन्दू पंचांग के अनुसार वह समय होता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और शनि की स्थिति के कारण विशेष रूप से शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। यह समय लगभग एक महीने तक रहता है। खरमास का समय आमतौर पर दिसंबर के मध्य से जनवरी के मध्य तक होता है, जब सूर्य मकर राशि में रहता है।ALSO READ: Malmas 2025: 15 दिसंबर 2025 से प्रारंभ होगा 'मलमास', एक महीने तक नहीं होंगे शुभ कार्य
 
खरमास क्या है और क्यों लगता है? खरमास एक ऐसा समय है जब सूर्य, देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु में या कभी-कभी मीन राशि में प्रवेश करते हैं। बता दें कि मीन संक्रांति के दौरान भी खरमास लगता है, जिसे मलमास कहते हैं।
 
1. खरमास का कारण, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक मान्यता: 
ज्योतिषीय कारण/ देवगुरु बृहस्पति का प्रभाव: ग्रहों के राजा सूर्य, जब धर्म, ज्ञान और शुभ कार्यों के कारक बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं, तो बृहस्पति की ऊर्जा अत्यधिक मजबूत हो जाती है, जिससे सूर्य की शक्ति कमजोर पड़ जाती है।

सूर्य को आत्मा और बृहस्पति को ज्ञान व शुभता का प्रतीक माना जाता है। जब राजा यानी सूर्य अपने गुरु बृहस्पति के घर में प्रवेश करता है, तो वह गुरु के सम्मान में तेजहीन हो जाता है। मान्यता है कि इस समय सूर्य धीमी गति से भ्रमण करते हैं, जिससे शुभ कार्यों को करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा और बल प्राप्त नहीं हो पाता।
 
वैज्ञानिक/व्यावहारिक कारण: खरमास अक्सर फसलों की कटाई के बाद या ठंड के मौसम में आता है। प्राचीन काल में, इस समय लोग कृषि कार्य से निवृत्त होते थे और विवाह आदि जैसे बड़े आयोजन करना व्यावहारिक रूप से कठिन होता था। इसलिए, इस समय को धार्मिक कार्यों और आराम के लिए अलग रखा जाता था।ALSO READ: Paush month: पौष मास का महत्व और पौराणिक कथा
 
2. खरमास की अवधि: खरमास की अवधि लगभग 30 दिन की होती है। यह तब शुरू होता है जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे इसे धनु संक्रांति कहते हैं। यह आमतौर पर 14 या 15 दिसंबर के आसपास होता है। यह तब समाप्त होता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसे मकर संक्रांति कहते हैं। यह आमतौर पर 14 या 15 जनवरी के आसपास होता है।
 
खरमास के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?, जानें वर्जित कार्य: 
 
खरमास की अवधि को शुभ या मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है, इसलिए निम्न कार्य वर्जित होते हैं:
 
* विवाह संस्कार: विवाह जैसा शुभ बंधन इस दौरान नहीं किया जाता, क्योंकि माना जाता है कि इसमें सूर्य और गुरु का पूरा आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता।
 
* गृह प्रवेश: नए घर में प्रवेश या नया घर खरीदना शुभ नहीं माना जाता है।
 
* यज्ञोपवीत/जनेऊ संस्कार: इस दौरान यह संस्कार नहीं करना चाहिए।
 
* नए व्यापार का आरंभ: किसी भी नए व्यवसाय, दुकान या बड़े आर्थिक लेन-देन की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
 
* बड़े निर्माण कार्य: भवन निर्माण या कुआँ खुदवाना आदि जैसे बड़े कार्य शुरू नहीं किए जाते।
 
* मुंडन संस्कार: बाल काटने या छोटे बच्चों के मुंडन जैसे मांगलिक कार्य भी वर्जित हैं।
 
खरमास में क्या करना चाहिए?, जानें शुभ कार्य: 
 
चूंकि खरमास का महीना धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से गुरु और सूर्य की पूजा के लिए समर्पित होता है, इसलिए यह समय धार्मिक कार्य और पूजा-पाठ, आत्म-शुद्धि, साधना और दान-पुण्य के लिए बहुत शुभ है:
 
- सूर्य उपासना: प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य दें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
 
- भगवान विष्णु की पूजा: इस पूरे माह में भगवान विष्णु, जिनके गुरु बृहस्पति हैं की पूजा करना और सत्यनारायण कथा सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है।
 
- तीर्थ यात्रा: इस महीने तीर्थ यात्रा करना और पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत पुण्यदायी माना गया है।
 
- तुलसी की पूजा: नियमित रूप से तुलसी के पौधे को जल दें और दीपक जलाएं।
 
- मंत्र जाप: अपने इष्टदेव के मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करें।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Dhanu sankranti 2025: धनु संक्रांति कब है, क्या है इसका महत्व, पूजा विधि और कथा?
ये भी पढ़ें
Saphala Ekadashi 2025 Date: सफला एकादशी व्रत कैसे रखें और कब होगा इसका पारण?