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29 जून को भड़ली नवमी पर विवाह के अबूझ मुहूर्त, आगामी 25 नवंबर तक नहीं होंगे शुभ मांगलिक कार्य

29 जून को भड़ली नवमी पर विवाह के अबूझ मुहूर्त, आगामी 25 नवंबर तक नहीं होंगे शुभ मांगलिक कार्य - Wedding Dates In 2020
Bhadli Navami Vivah Muhurat
वर्ष 2020 में भड़ली नवमी पर्व 29 जून, सोमवार को मनाया जाएगा। प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल नवमी को भड़ली / भडल्या नवमी पर्व मनाया जाता है। नवमी तिथि होने से इस दिन गुप्त नवरात्रि का समापन भी होता है। 
 
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार भड़ली नवमी का दिन भी अक्षय तृतीया के समान ही महत्व रखता है, अत: इसे अबूझ मुहूर्त मानते हैं तथा यह दिन शादी-विवाह को लेकर खास मायने रखता है। इस दिन बिना कोई मुहूर्त देखें विवाह की विधि संपन्न की जा सकती है।
 
भारत के दूसरे कई हिस्सों में इसे दूसरों रूपों में मनाया जाता है। उत्तर भारत में आषाढ़ शुक्ल नवमी तिथि का बहुत महत्व है। वहां इस तिथि को विवाह बंधन के लिए अबूझ मुहूर्त का दिन माना जाता है। इस संबंध में यह मान्यता है कि जिन लोगों के विवाह के लिए कोई मुहूर्त नहीं निकलता, उनका विवाह इस दिन किया जाए, तो उनका वैवाहिक जीवन हर तरह से संपन्न रहता है, उनके जीवन में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं होता।

Bhadli Navami 2020
 
ज्ञात हो कि 1 जुलाई 2020, बुधवार को देवशयनी/ हरिशयनी एकादशी होने के कारण आगामी 4 माह तक शादी-विवाह संपन्न नहीं किए जा सकेंगे। ऐसे में 4 माह तक शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। इस अवधि में सिर्फ धार्मिक कार्यक्रम कर सकेंगे। इन 4 माहों तक सिर्फ भगवान विष्णु का पूजन-अर्चन अत्याधिक लाभदायी होता है। 
 
अत: देवउठनी एकादशी के बाद ही शुभ मंगलमयी समय शुरू होने पर शुभ विवाह के लगन कार्य, खरीदारी तथा अन्य शुभ कार्य किए जाएंगे। 1 जुलाई से 25 नवंबर यानी 4 माह 25 दिन तक श्रीहरि विेष्णु शयनवास में रहेंगे। इस कारण कोई मुहूर्त नहीं होने से शुभ कार्य किए नहीं जा सकेंगे। जून 2020 में विवाह की इन तिथियों पर यानी 11, 15, 17, 27, 29 और 30 जून को ही विवाह के शुभ मुहूर्त हैं। अत: 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ ही मांगलिक कार्य शुरू किए जा सकेंगे। 
 
देवशयनी एकादशी से भारत में चातुर्मास माना जाता है जिसका अर्थ होता है कि भड़ली नवमी के बाद 4 महीनों तक विवाह या अन्य शुभ कार्य नहीं किए जा सकते, क्योंकि इस दौरान सभी देवी-देवता सो जाते हैं। इसके बाद सीधे देवउठनी एकादशी पर श्रीहरि विष्णुजी के जागने पर चातुर्मास समाप्त होता है तथा सभी तरह के शुभ कार्य शुरू किए जाते हैं। 
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