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कुंडली के सप्तम भाव से जानिए अपने जीवनसाथी को....

कुंडली के सप्तम भाव से जानिए अपने जीवनसाथी को.... - Role of 7th house in marriage
विवाह योग्य आयु हो जाने पर प्रत्येक व्यक्ति के मन में यह जानने की उत्सुकता रहती है कि उसका भावी जीवनसाथी कैसा होगा। जीवनसाथी का निर्णय करने में वैसे तो कई कारक होते हैं लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण व मुख्य कारक सप्तम भाव एवं सप्तमेश होता है। 
 
सप्तम भाव एवं सप्तमेश की स्थिति से जीवनसाथी के स्वभाव का पता चल जाता है। सप्तम भाव में यदि शुभ ग्रह जैसे गुरू, शुक्र, बुध, चन्द्र की राशि और शुभ ग्रह स्थित हों एवं सप्तमेश भी यदि शुभ स्थानों में शुभ ग्रह के प्रभाव में हो तो आपका जीवनसाथी सौम्य स्वभाव वाला, आपको प्रेम करने वाला व आपकी भावनाओं को समझने व उनकी कद्र करने वाला होता है। 
 
इसके विपरीत यदि सप्तम भाव में क्रूर ग्रह जैसे शनि, मंगल, सूर्य की राशि हो या सप्तम भाव में राहु-केतु विराजनमान हों तो आपका जीवनसाथी क्रूर स्वभाव वाला व निष्ठुर होता है। 
 
यदि सप्तमेश पर भी क्रूर ग्रहों का प्रभाव हो तब बात विवाह-विच्छेद तक पहुंच सकती है। सामान्यत: जनसामान्य में विवाह हेतु कुंडली-मिलान करते समय 18 गुण मिलान जैसी कई भ्रान्तियां प्रचारित हैं। केवल 18 गुण मिल जाने मात्र से दाम्पत्य-सुख की प्राप्ति सुनिश्चित कर लेना सर्वथा अनुचित है। दाम्पत्य-सुख की प्राप्ति के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण कारक सप्तम भाव, सप्तमेश एवं शुक्र होता है। अत: दाम्पत्य-सुख एवं जीवनसाथी के बारे में विचार करते समय इन कारकों को सर्वाधिक महत्त्व देना चाहिए।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
सम्पर्क: [email protected]
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