प्रत्येक माह त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखने का विधान है। प्रदोष व्रत कृष्ण और शुक्ल दोनों पक्षों को किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के 2 घंटे 24 मिनट का समय प्रदोष काल के नाम से जाना जाता है। सामान्यत: सूर्यास्त से लेकर रात्रि आरंभ तक के मध्य की अवधि को प्रदोष काल में लिया जा सकता है।