गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. आलेख
  4. parikrama kyo karte hain
Written By

क्या आप जानते हैं प्रतिमा की परिक्रमा क्यों करते हैं?

क्या आप जानते हैं प्रतिमा की परिक्रमा क्यों करते हैं? - parikrama kyo karte hain
मंदिर में परिक्रमा क्यों करते हैं? 
 
मंदिरों में हम कुछ विशेष धार्मिक गतिविधियां करते हैं। हाथ जोड़ने से लेकर, सिर झुकाने, घंटी बजाने और परिक्रमा करने तक.. लेकिन यह हम परंपरागत रूप से करते आए हैं। इनके पीछे के रहस्य से हम अवगत नहीं होते। आइए आज जानते हैं कि प्रतिमाओं की परिक्रमा क्यों की जाती है... 
 
प्राण-प्रतिष्ठित देवमूर्ति जिस स्थान पर स्थापित होती है, उस स्थान के मध्य से चारों ओर कुछ दूरी तक दिव्य शक्ति का आभामंडल रहता है। उस आभामंडल में उसकी आभा-शक्ति के सापेक्ष परिक्रमा करने से श्रद्धालु को सहज ही आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। दैवीय शक्ति के आभामंडल की गति दक्षिणवर्ती होती है।
 
इसी कारण दैवीय शक्ति का तेज और बल प्राप्त करने के लिए भक्त को दाएं हाथ की ओर परिक्रमा करनी चाहिए। बाएं हाथ की ओर से परिक्रमा करने से दैवीय शक्ति के आभामंडल की गति और हमारे अंदर की आंतरिक शक्ति के बीच टकराव होने लगता है। परिणामस्वरूप हमारा अपना जो तेज है, वह भी नष्ट होने लगता है। अतएव देव प्रतिमा की विपरीत परिक्रमा नहीं करनी चाहिए।
 
भगवान की मूर्ति और मंदिर की परिक्रमा हमेशा दाहिने हाथ की ओर से शुरू करनी चाहिए, क्योंकि प्रतिमाओं में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित होती है। बाएं हाथ की ओर से परिक्रमा करने पर इस सकारात्मक ऊर्जा से हमारे शरीर का टकराव होता है, इस वजह से परिक्रमा का लाभ नहीं मिल पाता है। दाहिने का अर्थ दक्षिण भी होता है, इस कारण से परिक्रमा को प्रदक्षिणा भी कहा जाता है। 
 
सूर्य देव की सात, श्रीगणेश की चार, भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों की चार, देवी दुर्गा की एक, हनुमानजी की तीन, शिवजी की आधी प्रदक्षिणा करने का नियम है। शिवजी की आधी प्रदक्षिणा ही की जाती है, इस संबंध में मान्यता है कि जलधारी को लांघना नहीं चाहिए। जलधारी तक पंहुचकर परिक्रमा को पूर्ण मान लिया जाता है।
 
परिक्रमा करते समय इस मंत्र का करें जाप
 
यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च।
तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।
 
इस मंत्र का अर्थ यह है कि जाने-अनजाने में किए गए और पूर्वजन्मों के सारे पाप प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाए। परमेश्वर मुझे सद्बुद्धि प्रदान करें। किसकी कितनी परिक्रमा दूसरे शब्दों में 
 
परिक्रमा किसी भी देवमूर्ति या मंदिर में चारों ओर घूमकर की जाती है। कुछ मंदिरों में मूर्ति की पीठ और दीवार के बीच परिक्रमा के लिए जगह नहीं होती है, ऐसी स्थिति में मूर्ति के सामने ही गोल घूमकर प्रदक्षिणा की जा सकती है।
 
 
ये भी पढ़ें
बच्चे का मुंडन संस्कार क्यों करवाया जाता है