Panchak December 2025: पंचक, ज्योतिष शास्त्र में एक विशेष समय को कहा जाता है जब चंद्रमा मिथुन राशि से लेकर सिंह राशि तक के पांच नक्षत्रों से गुजरता है, जो धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती के समयावधि में होता है। इस समय को 'पंचक काल” कहा जाता है। पंचक काल हर महीने में पड़ता है, एक बार जब चंद्रमा कुम्भ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करता है और दूसरी बार जब चंद्रमा कुम्भ राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश करता है।
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पंचक क्या है?: पंचक का समय किसी भी प्रकार के शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। इस दौरान व्यक्ति को संयमित रहकर ध्यान, साधना और दान-पुण्य के कार्यों में संलग्न रहना चाहिए। पंचक के समय में शांति बनाए रखना और मानसिक रूप से मजबूत होना महत्वपूर्ण होता है। ज्योतिषशास्त्र में पंचक के महत्व को समझकर इसे श्रद्धा और सावधानी से अपनाना चाहिए।
पंचक की तिथि: पंचक प्रारंभ 24 दिसंबर, 2025 से होने जा रहा है। यह समय 5 दिनों तक रहेगा, और आमतौर पर पंचक का समय हर महीने के दौरान दो बार आता है। जब चंद्रमा कुम्भ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तो उसे पंचक का प्रारंभ माना जाता है और यह 5 दिनों तक चलता है। इस बार पंचक 24 दिसंबर से 29 दिसंबर तक रहेगा।
दिसंबर 2025 में पंचक की तिथियां:
पंचक प्रारंभ: 24 दिसंबर 2025, बुधवार, शाम 07:46 बजे से।
पंचक का समापन: 29 दिसंबर 2025, सोमवार, सुबह 07:41 बजे।
पंचक का महत्व: पंचक काल में चंद्रमा पांच नक्षत्रों से गुजरता है, जो ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति की मनोस्थिति और जीवन पर प्रभाव डालते हैं। यह समय अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार के कार्यों के लिए माना जाता है। पंचक के समय को विशेष रूप से मृत्यु, पिंडदान और श्राद्ध के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता। यह समय शोक और दुख का होता है।
पंचक के दौरान किए जाने वाले कार्य:
1. ध्यान और साधना: पंचक काल में ध्यान, साधना और आत्मविकास के कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है। यह समय मन की शांति के लिए उपयुक्त होता है, और व्यक्ति को अपने भीतर के विकारों पर काबू पाने की प्रेरणा मिलती है। यह समय व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मबोध की ओर ले जाता है।
2. दान-पुण्य: पंचक में दान करने का विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है और यह व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि लाने का एक रास्ता है।
3. पवित्रता बनाए रखना: इस समय को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धता बनाए रखने का होता है।
4. सावधानी बरतना: पंचक के दौरान किसी भी महत्वपूर्ण यात्रा, व्यापारिक निवेश, या घर की निर्माण से संबंधित कार्यों में रुकावट आ सकती है। इस समय में अनावश्यक जोखिम लेने से बचना चाहिए।
5. श्रद्धा और भक्ति: पंचक के समय में विशेष रूप से भगवान की पूजा, व्रत और भजन-कीर्तन करना उपयुक्त होता है। यह समय धार्मिक कार्यों और ईश्वर से जुड़े कार्यों के लिए उपयुक्त होता है।
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