खर मास में खूब दान करें, मिलेगा अक्षय पुण्य
खर मास पंचांग के अनुसार खरमास को मलमास कहा जाता है। इस एक माह शुभ कार्य वर्जित रहेंगे।
सूर्य की धनु संक्रांति के कारण मलमास होता है। सूर्य जब बृहस्पति की राशि धनु अथवा मीन में होता है तो ये दोनों राशियां सूर्य की मलीन राशि मानी जाती है। शास्त्र अनुसार सूर्य का बृहस्पति में परिभ्रमण श्रेष्ठ नहीं माना जाता है, क्योंकि बृहस्पति में सूर्य कमजोर स्थिति में रहते हैं।
वर्ष में दो बार सूर्य बृहस्पति की राशियों में संपर्क में आता है। प्रथम दृष्टा 15-16 दिसंबर से 14-15 जनवरी तथा द्वितीय दृष्टा 14 मार्च से 13 अप्रैल। द्वितीय दृष्टि में सूर्य मीन राशि में रहते हैं। सूर्य की गणना के आधार पर प्रायः इन दोनों माह को धनु र्मास एवं मीन मास कहा जाता है। इन दोनों महीनों में मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है।
इस माह के दौरान विवाह, यज्ञोपवीत, कर्ण छेदन, गृह आरंभ, गृह प्रवेश, वास्तु पूजा, कुआं एवं बावड़ी उत्खनन, राजसी कार्य, दिव्य यज्ञ अनुष्ठान जिसमें लक्ष्यचंडी तथा सहस्त्रचंडी यज्ञ के साथ ही वैदिक कर्म त्याग दिए जाते हैं।
खास तौर पर मलमास माह में धर्म के प्रति समर्पण भाव से इष्ट की आराधना, वैष्णव तथा शिव मंदिरों में जाकर सत्संग व कीर्तन का लाभ लें, वस्त्र-भोजन तथा औषधि का दान करना श्रेष्ठ होता है।