बृहस्पति वर्ष 2025 में अतिचारी होकर 3 बार करेंगे गोचर, वर्ष 2026 में मचाएंगे तबाही, भारत का क्या होगा?
Jupiter transit year 2025: 14 मई 2025 बुधवार को रात्रि 11 बजकर 20 मिनट पर बृहस्पति ग्रह वृषभ से निकलकर मिधुन राशि में प्रवेश करेंगे। मिथुन राशि में बृहस्पति 18 अक्टूबर 2025 तक रहेंगे और इसके बाद तेज गति से कर्क राशि में चले जाएंगे। कर्क में बृहस्पति नीच के हो जाते हैं। नीच के होकर बुरा फल देंगे। 11 नवंबर 2025 को गुरु ग्रह वक्री हो जाएंगे और 5 दिसंबर 2025 को पुनः मिथुन राशि में वापस लौट आएंगे। इसके बाद, गुरु 2 जून 2026 तक मिथुन राशि में रहने वाले हैं। इसके बाद वे कर्क में गोचर करेंगे। इस तरह 8 वर्षों तक वे अतिचारी रहेंगे।
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वर्तमान में गुरु मिथुन राशि में हैं।
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18 अक्टूबर 2025 को कर्क में रहेंगे।
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5 दिसंबर 2025 को पुनः मिथुन राशि में लौटेंगे
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2 जून 2026 को पुन: कर्क में गोचर करेंगे।
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31 अक्टूबर 2026 को सिंह राशि में गोचर करें।
वर्ष 2026 में बृहस्पति मचाएगा तबाही:
2 जून 2026 मंगलवार को मध्यरात्रि 02:25 पर जब बृहस्पति कर्क राशि में गोचर करेंगे तो फिर से भारत पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर होगा। इसके बाद 31 अक्टूबर को सिंह राशि में बृहस्पति का गोचर भारत की शक्ति को बढ़ाएगा। वर्तमान में 3 अप्रैल से 7 जून 2025 तक मंगल कर्क राशि में होकर नीच का फल दे रहा है। भारत की कुंडली में मंगल की महादशा चल रही है जो 31 मार्च 2025 से प्रारंभ हुई थी। यह दशा 2032 तक रहेगी तब तक भारत अपने पराक्रम का प्रदर्शन संपूर्ण विश्व में करके अपनी पताका लहराएगा। भारत के खिलाफ कोई भी शक्ति सफल नहीं हो पाएगी। वर्ष 2026 में भारत एक बड़े युद्ध में आएगा और 28 दिसंबर 2027 तक पाकिस्तान के कई टुकड़े हो जाएंगे।
गुरु की मिथुन राशि में स्थिति के दौरान, मीडिया में भ्रम, झूठी सूचनाओं का प्रसार और कूटनीतिक तनाव बढ़ सकते हैं। कर्क राशि में गुरु के उच्च अवस्था में आने पर, राष्ट्रीयता की भावना, सांस्कृतिक पहचान और नए वैश्विक गठबंधन उभर सकते हैं। अक्टूबर 2026 में गुरु सिंह राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे प्रभावशाली नेताओं का उदय और वैश्विक राजनीति में बदलाव की संभावना है। गुरु की कर्क राशि में उच्च अवस्था के दौरान, जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, तूफान और जल संबंधित प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ सकती हैं। जब गुरु कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, तो यह उच्च अवस्था में होंगे, जिससे कुछ समय के लिए आर्थिक स्थिरता, सरकारी कल्याण योजनाओं, कृषि और रियल एस्टेट क्षेत्र में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।
ज्योतिष के अनुसार 14 मई 2025 से गुरु ग्रह वृषभ से निकलकर मिथुन राशि में 3 गुना अतिचारी हो रहे हैं। अतिचारी यानी वे अब तेज गति से एक राशि को बहुत कम समय में पार करके पुन: उसी राशि में वक्री लौटेंगे और फिर मार्गी होकर पुन: अगली राशि में चले जाएंगे। ऐसे वे 8 वर्षों तक करेंगे। बृहस्पति की इस असामान्य गति से धरती पर हलचल बढ़ जाएगी, क्योंकि बृहस्पति की मीन राशि में शनि और राहु की युति मई 18 मई 2025 तक रहेगी। बृहस्पति ग्रह जीवन, शीतलता, सुख, समृद्धि, उन्नति और बुद्धि प्रदान करता है परंतु जब इसकी चाल बिगड़ जाए तो भारी नुकसान देखने को मिलते हैं। बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन के चलते धरती के मौसम और तापमान में बदलाव हो जाएगा। बृहस्पति के अतिचारी होने से जहां धर्म, अध्यात्म, ज्ञान के क्षेत्र में वृद्धि की स्थिति बनेगी वहीं वैश्विक स्तर पर विभिन्न देश युद्ध की ओर बढ़ेंगे। महाभारत के समय की खगोलीय घटनाओं के अध्ययन से भी यह पता चलता है कि तब भी गुरु ग्रह 7 वर्षों के लिए अतिचारी हुए थे। धर्म की स्थापना के लिए एक महायुद्ध होता है और इसी समय भगवान श्री कृष्ण गीता का अद्भुत उपदेश भी देते हैं अर्थात अतिचारी गुरु की स्थिति में ज्ञान के द्वार भी खुलते हैं।
अतिचारी बृहस्पति का इतिहास:
महाभारत काल में यानी 5000 हजार वर्ष पहले गुरु 7 राशियों में 7 वर्ष तक अतिचारी रहे थे। जिसके चलते महायुद्ध हुआ था। करीब 1000 वर्ष पहले भी गुरु अतिचारी हुए थे तब भी बड़े बदलाव हुए थे। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भी बृहस्पति की असामान्य गति थी। पिछले कुछ वर्ष पहले यानी 2018 से लेकर 2022 तक बृहस्पति 4 राशियों में अतिचारी थे। इन वर्षों में जो हुआ वह सभी ने देखा है।