• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. आलेख
  4. Ganga Dashami Ganga Dussehra 2019
Written By

12 जून को आ रहा है श्री गंगा दशहरा, पुण्य कमाने का यह है अवसर सुनहरा

12 जून को आ रहा है श्री गंगा दशहरा, पुण्य कमाने का यह है अवसर सुनहरा - Ganga Dashami Ganga Dussehra 2019
गंगा माता का महत्व कौन नहीं जानता? श्री गंगा माता इस देश की सबसे पवित्रतम नदी मानी गई है। इसका जल इतना शुद्ध और निर्मल होता है कि विपरीत हालातों में भी दुषित नहीं होता। यूं तो गंगा माता में नहाने के लिए हर हिंदू तिथि उपयुक्त बताई गई है लेकिन एक दिन ऐसा है जो स्वयं गंगा माता का ही माना गया है। वह दिन है ज्येष्ठ शुक्ल दशमी। इसी दिन हस्त नक्षत्र में गंगा स्वर्ग से धरती पर आई थी। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को संवत्सर का मुख कहा गया है। इस दिन दान-पुण्य और स्नान का अत्यधिक महत्व है। 
 
इस पवित्र नदी में स्नान करने से दस हजार तरह के पाप नष्ट होते हैं। इस दिन विष्णुपदी, पुण्यसलिला मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ, अतः यह दिन 'गंगा दशहरा' (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) या लोकभाषा में जेठ के दशहरा के नाम से जाना जाता है।
 
'गंगे तव दर्शनात मुक्तिः' अर्थात् श्रद्धा और निष्कपट भाव से गंगाजी के दर्शन कर लेने मात्र से जीवों को कष्टों से मुक्ति मिलती है। 
 
गंगाजल के स्पर्श से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। 
 
पाठ, यज्ञ, मंत्र, होम और देवदर्शन आदि समस्त शुभ कर्मों से भी जीव को वह गति नहीं मिलती, जो गंगाजल के सेवन मात्र से ही प्राप्त होती है। 
 
इनकी महिमा का यशोगान करते हुए भगवान शिव श्री विष्णु से कहते हैं- हे सृष्टि के पालनहार! ब्राह्मण के श्राप से अत्याधिक कष्ट में पड़े हुए जीवों को गंगा के सिवा दूसरा कौन स्वर्गलोक में पहुंचा सकता है, क्योंकि मां गंगा शुद्ध, विद्यास्वरूपा, इच्छाज्ञान, एवं क्रियारूप, दैहिक, दैविक तथा भौतिक तापों को शमन करने वाली, धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष चारों पुरुषार्थों को देने वाली शक्ति स्वरूपा हैं। इसलिए इन आनंदमयी, धर्मस्वरूपणी, जगत्धात्री, ब्रह्मस्वरूपणी अखिल विश्व की रक्षा करने वाली गंगा को में अपने शीश पर धारण करता हूं।
 
कलियुग में काम, क्रोध, मद, लोभ, मत्सर, ईर्ष्या आदि समस्त विकारों का संपूर्ण नाश करने में गंगा के समान और कोई नहीं है। विधिहीन, धर्महीन, आचरणहीन मनुष्यों को भी यदि मां गंगा का सान्निध्य मिल जाए तो वे भी मोह एवं अज्ञान के संसार सागर से पार हो जाते हैं।

स्कंदपुराण के अनुसार गंगा दशहरे के दिन व्यक्ति को किसी भी पवित्र नदी पर जाकर स्नान, ध्यान तथा दान करना चाहिए। इससे मनुष्य सभी पापों से मुक्ति पाता है।  
 
यदि कोई मनुष्य पवित्र नदी तक नहीं जा पाता, तब वह अपने घर के पास की किसी नदी पर मां गंगा का स्मरण करते हुए स्नान करें। मां गंगा की कृपा पाने के लिए इस दिन गंगाजल का स्पर्श और सेवन अवश्य करना चाहिए।
 
दस हजार पापों से मिलती है मुक्ति
 
शास्त्रों के अनुसार गंगा अवतरण के इस पावन दिन गंगा जी में स्नान एवं पूजन-उपवास करने वाला व्यक्ति दस हजार प्रकार के पापों से छूट जाता है।

इनमें से 10 प्रमुख पाप इस प्रकार हैं। 3 प्रकार के दैहिक, 4 वाणी के द्वारा किए हुए एवं 3 मानसिक पाप, ये सभी गंगा दशहरा के दिन पतितपावनी गंगा स्नान से धुल जाते हैं।गंगा में स्नान करते समय स्वयं श्री नारायण द्वारा बताए गए मन्त्र-''ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः'' का स्मरण करने से व्यक्ति को परम पुण्य की प्राप्ति होती है।
 
दान 
 
गंगा दशहरे के दिन श्रद्धालुजन जिस भी वस्तु का दान करें, उनकी संख्या 10 होनी चाहिए और जिस वस्तु से भी पूजन करें, उनकी संख्या भी 10 ही होनी चाहिए, ऐसा करने से शुभ फलों में वृद्धि होती है। दक्षिणा भी 10 ब्राह्मणों को देनी चाहिए। जब गंगा नदी में स्नान करें, तब 10 बार डुबकी लगानी चाहिए। 
ये भी पढ़ें
शत्रु की आधी शक्ति को खींचने वाले महाबली बाली का जब हनुमानजी से हुआ सामना