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Written By ND

ऑल द बेस्ट विद थम्ब साइन

अँगूठा और शुभकामना का युवा अंदाज

ऑल द बेस्ट
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अँगूठा दिखाना एक कहावत है, जिसका अभिप्राय किसी को चिढ़ाने या वक्त-जरूरत पर धोखा देने से है, लेकिन आज के परिवेश में अँगूठा दिखाने के अपने अलग आशय हैं। किसी को ऑल द बेस्ट कहना हो या कि हूट करना हो बस एक अँगूठा काफी है... अँगूठा सीधा तो गुड विशेज और उल्टा तो बैड। भावनाओं की मूक अभिव्यक्ति का यह अंदाज युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है। यही वजह है कि आजकल युवा बोलकर नहीं थम्ब साइन से कहते हैं एक-दूसरे को ऑल द बेस्ट..।

बंद मुट्ठी लाख की
थम्ब को यूनिटी प्रदर्शित करने का माध्यम भी बताते हुए स्टूडेंट आस्था भटनागर कहती हैं कि मुट्ठी बाँधने में अँगूठे की अहम भूमिका होती है और यही बंद मुट्ठी न सिर्फ एकता को दर्शाती है बल्कि शक्ति का प्रतीक भी होती है।

नोट गिनने की मशी
एक अन्य युवा अभिषेक सिंह अँगूठे से एक विशेष मुद्रा बनाते हुए यह बताते हैं कि इससे नोटों या धन का इशारा भी किया जाता है। वैसे भी नोटों की काउंटिंग में अँगूठे की अपनी विशेष भूमिका होती है। वो उल्टा प्रश्न करते हैं कि क्या बगैर अँगूठे का इस्तेमाल किए आसानी से नोट गिने जा सकते हैं?

एक तरफ बेस्ट ऑफ लक के लिए अँगूठे का इस्तेमाल होता है, तो वहीं किसी को हूट करने या चिढ़ाने के लिए भी युवा अँगूठे का प्रयोग करते हैं..। हाँ इसके लिए वे अँगूठे की मुद्रा बदल देते हैं और उसे डाउन करके धरती की ओर इशारा करते हैं।

विभिन्न कॉम्पिटिशन के दौरान जब युवाओं को अपनी फेवरेट टीम या प्रतिभागी को इनकरेज करना होता है तो वे थम्ब अप का साइन बनाते हैं और इसी तरह प्रतिद्वंद्वियों के लिए थम्ब डाउन। स्टूडेंट आकांक्षा मिश्रा इस साइन को परफेक्ट बताते हुए कहती हैं कि सीधे के लिए सीधा और उल्टे के लिए तो उल्टा ही होगा न।

तनहाई का सहार
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अजय खरे का कहना है कि अँगूठा तनहाई का सहारा भी होता है। वे कहते हैं कि ऐसे बच्चों की संख्या काफी है जो अँगूठा चूसते हैं, शायद इससे उन्हें अकेलेपन का आभास नहीं होता। अँगूठा चूसना एक ऐसी आदत है जो बचपन में पड़ती है और बड़े हो जाने पर भी जल्दी छूटती नहीं है।

युवा अमित कुमार सेठी कहते हैं कि अँगूठा बहुत काम की चीज है और इसका इस्तेमाल भी इसीलिए कुछ ज्यादा ही होता है। मोबाइल की ही बात करें तो उसके की बोर्ड के सारे नंबर अँगूठे से प्रेस करने पड़ते हैं। वो एक उदाहरण से अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि गुरु द्रोणाचार्य ने भी एकलव्य से गुरुदक्षिणा में अँगूठा ही माँगा था, इसी से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह अँगूठा हमारी डेली लाइफ में कितना अहम्‌ रोल प्ले करता है।

कॉलेज गोइंग गर्ल नम्रता लखेरा कहती हैं कि पुरातनपंथियों या निरक्षर व्यक्ति के लिए कभी थम्ब साइन का इस्तेमाल होता रहा होगा, लेकिन हम लोग तो आमतौर पर थम्ब साइन से ही अपने साथियों को शुभकामनाएँ देते हैं। अब किसी को अँगूठा दिखाना चिढ़ाने या धोखे का प्रतीक नहीं बल्कि उसकी गुड गोइंग के लिए अच्छी विशेस का प्रतीक है।

क्या कहती है एस्ट्रोलॉजी
ज्योतिष के अनुसार अँगूठे का लचीलापन और कड़कपन देखकर व्यक्तित्व का अंदाज लगाया जाता है। जिस व्यक्ति का अँगूठा पीछे की तरफ पूरा झुक जाता है उसमें आत्मविश्वास की कमी होती है। वहीं उसके विपरीत जिसका बिलकुल भी नहीं झुकता वह आत्मविश्वास से लबरेज तो होता है मगर अहंकारी और जिद्दी भी होता है।

अँगूठे के पीछे पड़ने वाली तीन धारियों से जीवन के तीन पड़ाव (बचपन, जवानी और बुढ़ापा) का आकलन किया जा‍ता है। मसलन जिस पड़ाव की धारी या रेखा कटी-फटी हो वह संघर्ष में गुजरेगा। कुछ विदेशी ज्योतिषी अँगूठे के पीछे बने अंग्रेजी के अल्फाबेट को पहचान कर भावी जीवनसाथी का नाम जानने का दावा करते हैं।