Last Modified: छिंदवाड़ा ,
गुरुवार, 12 जनवरी 2012 (00:55 IST)
ट्रेवल्स कर्मचारियों में छिड़ी खूनी जंग
बुधवार दोपहर को बस स्टैंड क्षेत्र में दो ट्रेवल्स कंपनियों के कर्मचारियों में फिल्मी अंदाज में जमकर खूनी संघर्ष हुआ। दोनों ओर से धारदार हथियारों के साथ लोहे की राड व लाठियों का भी इस्तेमाल हुआ। अचानक हुए इस घटनाक्रम से बस स्टैंड क्षेत्र में हड़कंप मच गया और लोग यहां-वहां भागने लगे। पुलिस का साहस इतना कि खूनी संघर्ष होता रहा और यहां मौजूद दो पुलिसकर्मी कुछ करने की बजाए यहां से भाग गए। घटना में चार कर्मचारी बुरी तरह जख्मी हुए हैं। इन सभी को जिला चिकित्सालय में इलाज हेतु भर्ती कराया गया है। जिनमें से एक की हालत बेहद गंभीर बताई गई है। जानकारी के अनुसार गंभीर रूप से घायल को नागपुर रेफर किया जा रहा है। उसकी हालत इतनी खराब थी कि घटनास्थल से जिला अस्पताल उसे बमुश्किल रिक्शे से पहुंचाया गया। इस खूनी विवाद की वजह ट्रेवल्स संचालकों की आपसी रंजिश बताई जा रही है। कोतवाली पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की है।
यह सनसनीखेज वारदात दोपहर करीब ढाई बजे हुई। मालवा ट्रेवल्स और न्यू राजा ट्रेवल्स के चार कर्मचारी वारदात में बुरी तरह लहुलुहान हो गए। जानकारी के अनुसार सवारी भरने को लेकर न्यू राजा ट्रेवल्स के कर्मचारियों संजू मंडराह और धानु डोले व अन्य लोगों ने मालवा ट्रेवल्स के फरहान खान और नईम बख्श के साथ मारपीट की। इसका बदला लेने के लिए कुछ देर बाद सात से आठ लोग लाठियों और लोहे की रॉड से लैस होकर बस स्टैंड आए। उस समय बस स्टैंड पर स्थित एक चाय दुकान में संजू मंडराह चाय पी रहा था कि अचानक इन लोगों ने उस पर हमला बोल दिया। कुछ मिनटों तक हथियार से लैस इन लोगों ने संजू को जमकर पीटा। जब पास ही स्थित पुलिस चौकी के दो पुलिसकर्मियों ने सारे घटनाक्रम को देखा तो वे भी यहां पहुंच गए। लेकिन गुंडों की ज्यादा संख्या देखकर दोनों पुलिसकर्मी यहां से भाग खड़े हुए। घटना के कुछ देर बाद कोतवाली एसआई विमल वासुकी पुलिस बल को लेकर यहां पहुंचे। उन्होंने घायल को अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था बनाने के साथ ड्यूटी पर तैनात दोनों पुलिसकर्मियों को भी फटकार लगाई।
बुधवार को हुआ ताजा विवाद नया नहीं है। पहले भी अपनी बसों में सवारियां भरने, टाइमिंग और बसों के खड़े रहने के स्थान को लेकर ट्रेवल्स संचालकों और उनके कर्मचारियों के मध्य विवाद होते रहे हैं। ताजा विवाद की वजह भी यही है। बुधवार की घटना के पूर्व भी दर्जनों बार ट्रेवल्स कर्मचारियों के मध्य खूनी संघर्ष हो चुका है। इसमें पुलिस भी कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है। एक विवाद थमता है तो दूसरा शुरू हो जाता है। वर्तमान हालात में भी यह लग रहा है कि बस संचालकों का यह विवाद और बढ़ने की आशंका है।