चार वर्ष में एक बार आने वाली तारीख 29 फरवरी के बाद से मांगलिक कार्य पूरे एक महीने तक नहीं होंगे। 29 फरवरी को सप्तमी तिथि और कृतिका नक्षत्र पड़ रहा है। ये दोनों सूर्य प्रधान नक्षत्र माने जाते हैं। इस संयोग में पैदा होने वाले बच्चे जहां विलक्षण प्रतिभा के धनी साबित होंगे। वहीं इसी दिन रात्रि में होलाष्टक लगने और सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने से किसी भी तरह के मांगलिक कार्य करने पर रोक लग जाएगी। मांगलिक कार्यों में मुंडन संस्कार, जनेऊ संस्कार व गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य भी नहीं किए जा सकते। 1 अपै्रल को रामनवमीं पर फिर से विवाह के मुहूर्त शुरू होंगे। रामनवमीं के बाद फिर खर मास का प्रभाव होने से अपै्रल के पहले पखवाड़े तक कोई मुहूर्त नहीं है।
ज्योतिषिी डॉ.दत्तात्रे होसकेरे का कहना है कि 29 फरवरी को होलाष्टक लग जाएगा। शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन माह की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा यानी होलिका दहन तक होलाष्टक का प्रभाव माना जाता है। इस बार 7 मार्च को पूर्णिमा तिथि पड़ रही है। इस दिन होलिका दहन होगा और 8 मार्च को धुलेंडी यानी रंगों से होली खेलने की परंपरा है। होली के एक सप्ताह बाद 14 मार्च को सूर्य जो है वह मीन राशि में प्रवेश करने जा रहा है। इस स्थिति को मीनार्क कहा जाता है। मीनार्क में सूर्य और गुरु का मेल नहीं होने से विवाह व अन्य संस्कारों को प्रतिबंधित किया गया है। यदि कोई मीनार्क में शुभ कार्य करता है तो उसका फल सहीं नहीं माना जाता। यह स्थिति एक माह तक रहने वाली है।