हाईकोर्ट की नोटिस का विधानसभा नहीं देगी जवाब
अध्यक्ष ने कहा कि इस सभा और आसंदी में विधानमंडल में प्रक्रिया या कार्य संचालन का विनियमन करने या व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियां निहित है। यह न्यायालय की आधिकारिता के अधीन नहीं है। अध्यक्ष ने संविधान के अनुच्छेद 212 का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें स्पष्ट उल्लेख है कि न्यायालय द्वारा राज्य के विधानमंडल की किसी कार्यवाही की विधि मान्यता को प्रक्रिया की किसी अभिकथन अनियमितता के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जाएगा। इस अनुच्छेद में यह भी उल्लेखित है कि राज्य के विधानमंडल का कोई अधिकारी या सदस्य जिसमें इस संविधान द्वारा या इसके अधीन उस विधानमंडल में प्रक्रिया या कार्य संचालन का विनियमन करने की अथवा व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियां निहित है। उन शक्तियों के अपने द्वारा प्रयोग के विषय में किसी न्यायालय की अधिकारिता के अधीन नहीं होगा। उन्होंने कहा कि उपरोक्त प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में इस याचिका का जवाब नहीं दिया जाएगा। अध्यक्ष ने विधि मंत्री से अनुरोध कि वे उच्च न्यायालय को संवैधानिक स्थिति और सभा की प्रक्रिया से अवगत करवाएं। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद यह पहला मौका है, जब विधानसभा अध्यक्ष की सदन के भीतर की किसी व्यवस्था पर उच्च न्यायालय द्वारा नोटिस जारी की गई है।
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