गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. »
  3. व्रत-त्योहार
  4. »
  5. वसंत पंचमी
  6. सरस्वती पर्व : कथा और महत्व
Written By WD

सरस्वती पर्व : कथा और महत्व

वसंत पंचमी : सबका मनचाहा मौसम

Sarasvati Pujan 2011 | सरस्वती पर्व : कथा और महत्व
ND


वसंत पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत में बड़े उल्लास से की जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण कर पूजा-अर्चना करती हैं। पूरे साल को जिन छः मौसमों में बाँटा गया है, उनमें वसंत लोगों का मनचाहा मौसम है

जब फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता है, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगती हैं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाती है और हर तरफ तितलियाँ मँडराने लगती हैं, तब वसंत पंचमी का त्योहार आता है। इसे कुछ लोग ऋषि पंचमी भी कहते हैं।

ND
वसंत पंचमी की कथा : सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य योनि की रचना की, परंतु वह अपनी सर्जना से संतुष्ट नहीं थे, तब उन्होंने विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल को पृथ्वी पर छिड़क दिया, जिससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई। जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जब इस देवी ने वीणा का मधुर नाद किया तो संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई, तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा।

सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वह संगीत की देवी भी हैं। वसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी। इस कारण हिंदू धर्म में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।

ND
पर्व का महत्व : वसंत ऋतु में मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास भरने लगते हैं। यूँ तो माघ का पूरा मास ही उत्साह देने वाला होता है, पर वसंत पंचमी का पर्व हमारे लिए कुछ खास महत्व रखता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी माँ सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है, इसलिए इस दिन माँ शारदे की पूजा कर उनसे ज्ञानवान, विद्यावान होने की कामना की जाती है। वहीं कलाकारों में इस दिन का विशेष महत्व है। कवि, लेखक, गायक, वादक, नाटककार, नृत्यकार अपने उपकरणों की पूजा के साथ माँ सरस्वती की वंदना करते हैं।

पूजन की विधि : वसंत पंचमी में प्रातः उठकर बेसनयुक्त तेल का शरीर पर उबटन करके स्नान करना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ पीले वस्त्र धारणकर माँ शारदा की पूजा करना चाहिए। साथ ही केशरयुक्त मीठे चावल अवश्य घर में बनाकर उनका सेवन करना चाहिए।