गुरुपूर्णिमा : गुरु की पूजा का पवित्र दिन
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कहते हैं। भारत भर में यह पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन गुरुपूजा का विधान है। प्राचीनकाल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में निःशुल्क शिक्षा ग्रहण करता था तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु का पूजन करके उन्हें अपनी शक्ति सामर्थ्यानुसार दक्षिणा देकर कृतकृत्य होता था।
वैसे तो दुनिया में कई विद्वान हुए हैं। परंतु चारों वेदों के प्रथम व्याख्याता व्यास ऋषि थे, जिनकी आज के दिन पूजा की जाती है। हमें वेदों का ज्ञान देने वाले व्यासजी ही हैं। अतः वे हमारे आदिगुरु हुए। इसीलिए गुरुपूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।