स्वर्णिम उड़ान से चीन बना 'ओलिम्पिक महाशक्ति'
बीजिंग ओलिम्पिक खेलों के अंतिम दिन रविवार को मेजबान चीन ने स्वर्णिम कामयाबी का अर्द्धशतक लगाने के साथ ही पिछले कई वर्षों से चल रही अमेरिका की बादशाहत को तोड़ते हुए खेलों की दुनिया की नंबर एक महाशक्ति के रूप में खुद को स्थापित कर दिया।चीन ने मुक्केबाजी में दो स्वर्ण जीतकर अपने सोने के तमगों की संख्या 51 तक पहुँचा दी। उसने 21 रजत और 28 काँस्य पदकों के साथ बीजिंग ओलिम्पिक में पदकों का सैकड़ा पूरा किया। वह 100 से अधिक पदक जीतने के मामले में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर आया। लेकिन चीन के 51 स्वर्ण के विपरीत अमेरिका 36 सोने के तमगे ही बीजिंग में हासिल कर पाया और दूसरे स्थान पर पिछड़ गया1 वर्ष 2004 में एथेंस में हुए पिछले ओलिम्पिक में भी अमेरिका को इतने ही स्वर्ण मिले थे, लेकिन चीन ने उस बार के 31 के मुकाबले इस ओलिम्पिक में 51 स्वर्ण जीतकर उसे काफी पीछे छोड़ दिया1हालाँकि अमेरिका ने पुरुषों की बास्केटबॉल और वॉलीबॉल का स्वर्ण जीतने के अलावा वाटर पोलो स्पर्धा का रजत भी जीता लेकिन एथलेटिक्स स्पर्धाओं में मिली नाकामी ने इस बार उसे काफी नुकसान पहुँचाया। हालाँकि उसने 38 रजत और 36 काँस्य के साथ सर्वाधिक 110 पदक अपनी झोली में डाले।पदक तालिका में तीसरा स्थान रूस का रहा, जिसे 23 स्वर्ण, 21 रजत और 28 काँस्य पदक मिले। ब्रिटेन ने अंतिम सप्ताह में कई सुनहरी कामयाबियाँ बटोरीं, लेकिन 19 स्वर्ण समेत 47 पदकों के साथ उसे चौथे स्थान से ही संतोष करना पड़ा, जबकि जर्मनी को पाँचवाँ स्थान मिला है।जमैका ने एथलेटिक्स में अचंभित करने वाला प्रदर्शन करते हुए पदक तालिका में 13वाँ स्थान हासिल कर लिया है। इसी तरह केन्या भी लंबी दूरी के अपने धावकों के सहारे तालिका में 15वें नंबर पर पहुँचने में सफल रहा। केन्या के सेमी वांजिरू ने पुरुषों की मैराथन दौड़ जीतकर अपने देश को पाँचवाँ स्वर्ण दिलाया।जहाँ तक ओलिम्पिक के अंतिम दिन हुए मुकाबलों का सवाल है तो मुक्केबाजी में चीन को मिली दोहरी कामयाबी सर्वाधिक उल्लेखनीय रही। यह पहला मौका है जब चीन ने बॉक्सिंग रिंग से भी सोने का तमगा हासिल किया है।एथेंस ओलिम्पिक में काँस्यजीतने वाले चीन के झाउ शिमिंग को लाइट फ्लाइवेट वर्ग के फाइनल में अपने प्रतिद्वंद्वी के रिटायर होने के कारण स्वर्ण मिल गया। झांग जियाओपिंग ने लाइट हैवीवेट वर्ग के खिताबी मुकाबले में आयरलैंड के केन्नी एगान को 11-7 से हराकर चीन की खुशी को दोगुनी कर दिया।लेकिन मुक्केबाजी के किंग समझे जाने वाले क्यूबा को इस ओलिम्पिक से कोई स्वर्ण लिए बगैर ही लौटना होगा। अंतिम दिन उसके दो मुक्केबाज फाइनल मुकाबले में उतरे लेकिन दोनों ही परास्त हो गए। वर्ष 1968 ओलिम्पिक के बाद यह पहला मौका है, जब उसे मुक्केबाजी में कोई भी स्वर्ण नहीं मिला है। हालाँकि क्यूबा को चार रजत और चार काँस्य पदक जरूर मिले हैं।रूस के एलेक्सी तिस्चेंको ने लाइटवेट वर्ग के फाइनल में फ्रांस के दाओडा सोव को 11-9 से हराकर एक अनोखी उपलब्धि हासिल की। उन्होंने एथेंस ओलिम्पिक में फीदरवेट वर्ग का स्वर्ण जीता था और रविवार की सुनहरी कामयाबी के बाद वह दो विभिन्न वर्गों के चैंपियन बनने वाले चौथे मुक्केबाज बन गए।