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Written By वार्ता

एनआरआई न्‍यूज : सऊदी अरब में ठोकरे खा रहे हैं हिंदुस्तानी

एनआरआई न्‍यूज : सऊदी अरब में ठोकरे खा रहे हैं हिंदुस्तानी -
झुंझुनूं। अपने परिवार की खुशहाली के लिए पैसा कमाने की हसरत लेकर विदेश गए कई युवक सऊदी अरब के रियाद शहर में दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो रहे हैं।

युवकों ने परिजनों ने बताया कि गत वर्ष 19 सितम्बर को राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई युवक जयपुर की एक प्लेसमेंट एजेंसी के मार्फत सउंदी अरब गए थे। विदेश जाने के लिए युवकों ने एक लाख से अधिक रुपए पैसा कमाने के बाद ब्याज सहित लौटाने की शर्त पर उधार लिए लेकिन वहां काम नही मिलने के कारण दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं।

परिजनों ने जयपुर में एजेंसी के कार्यालय से संपर्क किया तो बताया गया कि कुछ दिन इंतजार करो रियाद शहर में उन्हे काम दिलाया जाएगा अन्यथा कंपनी उन्हें वापस ले कर आएगी। इधर विदेश में कमाने गए युवकों के रियाद मे फंसने से उनके परिजन बहुत चिंतित है और दो ढाई माह से एजेसी कार्यालय के चक्कर लगा कर थक चुके हैं।

रियाद मे फंसे युवकों ने बताया कि गत दो माह से तो यह स्थिति हो गई है कि कई बार भूखे सोना पड़ता है।

हरियाणा का खरदेन भी रियाद में फंसा है। उसने बताया कि इस दौरान युवक बीमार भी हुआ तो वहां इलाज नही मिला क्योंकि अस्पताल जाते हैं तो चिकित्सक पहचान पत्र मांगते है और यह नहीं होने पर इलाज करने से साफ इंकार कर देते है।

सउंदी अरब के कानून के मुताबिक यदि वहां के किसी स्थानीय व्यक्ति ने बतौर नियोजनकर्ता अपने यहां काम करने का वीजा मुहैया कराया है तो उस वीजा के आधार पर दूसरी जगह नौकरी करते पाया जाता है तो वहां की सरकार अवैध मानती है।

सऊदी अरब में अवैध कामगारो की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण पाने के लिए वहां की सरकार ने एक अभियान छेड़ा जिसे फिलहाल तीन माह के लिए स्थगित कर दिया गया है लेकिन इस अवधि में वीजा नियमों का उल्लंघन कर काम करने वालों को अपने देश लौटना होगा। इस नई गाइडलाइन को लेकर वहां काम कर रहे लाखों भारतीय कामगारो में खलबली मची हुई है।

युवाओं को रियाद भेजने वाली एजेंसी के प्रवीण सोनी ने बताया कि कोच्ची की एक कंपनी ने जयपुर में साक्षात्कार लेने के बाद वहां भेजा था। सऊदी अरब में आवासीय वीजा नियमों में हाल ही बदलाव हुआ है जिसके तहत किसी भी कंपनी को आधे श्रमिक वहां के स्थानीय रखने पड़ेंगे।

सोनी ने बताया कि श्रमिकों को पूरा वेतन और भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। बावजूद इसके कोई अपने वतन लौटना चाहता है तो हम मदद करेंगे। (वार्ता)