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Written By WD

इंद्रजीत की पुस्तक पर संगोष्ठी

इंद्रजीत की पुस्तक पर संगोष्ठी -
- नव्यवेश नवराही

2 सितंबर 1778 को जन्म। पंजाबी साहित्य एवं भाषा में एमए पंजाबी और हिन्दी में कविता लेखन, दर्शन, मनोविज्ञान और इतिहास में विशेष रुचि। नया ज्ञानोदय, अनुभूति पत्रिकाओं में कविताएँ, समीक्षा एवं पर्यावरण विषयक आलेखों का प्रकाशन, दैनिक भास्कर पंजाब के रविवारीय संस्करण में पाकिस्तानी पंजाबी नॉवेल 'दोआबा' तथा उर्दू नॉवेल 'रात' प्रकाशित। फिलहाल'चिक्कड़ रंगी मूर्ति' उपन्यास 'कशमकश' नाम से हिंदी अनुवाद का प्रकाशन जारी। संप्रति : दैनिक भास्कर के मैग्जिन सैक्शन से संबद्ध

युवा कवियित्री इंद्रजीत नंदन की काव्य पुस्तक 'शहीद भगतसिंह : अनथक जीवनगाथा' पर देश भगत यादगार हाल में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगो‍ष्ठी साहित्यिक संस्था 'शब्द मंडल' की तरफ से करवाई गई। पुस्तक पर डॉ. ‍तजिंदर विरली ने परचा पढ़ा। अपने विचार व्य‍क्त करते हुए उन्होंने कहा कि इंद्रजीत की यह लंबी कविता शहीद भगतसिंह के क्रांतिकारी बिंब को बड़ी खूबसूरती से उभारती है।

भगतसिंह को नायक के रूप में उभारने वाला बहुत सारा काव्य रचा गया है, परंतु यह काव्य भगतसिंह की विचारधारा के साथ जोड़कर लिखा गया है। यह इस समय की बहुत बड़ी जरूरत थी। प्रो. जगविंदर जोधा ने पुस्तक के महाकाव्यिक होने की संभावनाओं पर विस्तार से रोशनी डाली। बहस की शुरुआत डॉ. राममूर्ति ने की। उन्होंने लेखिका को पुस्तक की बधाई देते हुए उनकी काव्य सामर्थ्य की पड़ताल की।

इसके बाद युवा आलोचक व कवि हरविंदर भंडाल, युवा आलोचक तसकीन तथा वरिष्ठ कथाकार करनैलसिंह निजर ने पुस्तक पर विचार पेश किए। अंत में कवियित्री नंदन ने पुस्तक के लेखन के बारे में अपने अनुभव सभी के साथ बाँटे।

संगोष्ठी में वरिष्ठ कथाकार प्रेम प्रकाश, प्रो. जगमोहन, डॉ. जस मंड, वरिष्ठ हिंदी कवि प्रो. मोहन सपरा, करनैलसिंह निजर, कुलदीपसिंह बेदी, सुकीरत, डॉ. कीर्ति केसर, डॉ. रजनीश बहादुरसिंह बेदी, बलबीर परवाना, डॉ. बलवेंद्रसिंह, प्रो. सुरजीत जज, प्रो. गोपाल बुट्टर, डॉ. अजय शर्मा, डॉ. जगदीश गर्ग, सुखवंत, आरिफ गोविंदपुरी, रीतू कलसी, नव्यवेश नवराही, जसवीर हुसैन, अशोक कासिद, दीप निर्मोही आदि शामिल हुए। मंच संचालन जसवीर हुसैन और मनदीप कौर कंग ने किया।