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Written By वार्ता

'जीवाणु घटा सकते हैं शुक्राणु की गतिशीलता'

''जीवाणु घटा सकते हैं शुक्राणु की गतिशीलता'' -
मानव जनन तंत्र में चुपके से बिना किसी संक्रमण और लक्षण के डेरा जमाने वाले जीवाणु स्टेफीलोकोकस आरेश शुक्राणु की गतिशीलता पर वितरीत प्रभाव डाल कर बाँझपन पैदा करते है।

स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान चंडीगढ (पीजीआई) के मूत्ररोग विभाग और पंजाब विश्वविद्यालय के माइक्रोबायलॉजी विभाग के संयुक्त अध्ययन में इन तथ्यों का खुलासा किया गया है।

अनुसंधानकर्ताओं ने एक अध्ययन के दौरान यह पाया कि यह बैक्टीरिया एक प्रकार का ऐसा द्रव्य निर्माण करते हैं, जो शुक्राणु की गतिशीलता को झटका पहुँचाते है और काफी अधिक संख्या में ऐसे बाँझ दम्पति है, जो यह नहीं जान पाते कि वे इस जीवाणु हमले का शिकार है। हालाँकि इनमें से कुछ ने तो खर्चीले प्रजनन तकनीक का भी सहारा लिया होता है।

इस खोज के लिए पीजीआई के मूत्र रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. एसके सिंह को हाल में सम्पन्न अमेरिकन यूरोलॉजिकल एसोसिएशन के फ्लोरिडा के ओरलेंडो में हुए 103 में बार्षिक सम्मेलन के दौरान उनके अनुसंधान के लिए बैस्ट पेपर अवॉर्ड से पुरस्कृत किया गया।

डॉ. सिंह ने कहा कि जीवाणु एक तत्व उत्पन्न करता है जो शुक्राणु की क्षमता को प्रभावित करता है और उसकी गतिशीलता को बाधित कर अंडाणु से उसके मिलन को प्रभावित कर भ्रूण बनने में बाधा उत्पन्न करता है।

अनुसंधानकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि इस जीवाणु से प्रभावित दम्पतियो में शुक्राणु के सामान्य उत्पादन के बावजूद महिलाएँ गर्भ धारण नहीं करती, क्योंकि शुक्राणु की सतह पर पाए जाने वाले संग्राहक इस द्रव्य से प्रतिक्रिया कर गतिहीन हो जाते हैं।

डॉ. सिंह के अनुसार इलेक्ट्रोन माइक्रोस्कोपी जाँच के दौरान पाया गया कि संग्राहक और शुक्राणु स्थायीकरण तत्व के जुड़ने पर शुक्राणु की तैरने की गतिशीलता में विकार उत्पन्न होता है जो अनेक समस्याओ का कारण है।

अध्ययन इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है और यह इस ओर संकेत करता है कि नियमित उत्पादन के बावजूद भी बाह्य घटको के कारण भी शुक्राणु की रचना और उसका कार्य प्रभावित हो सकता है। हमेशा अनियमित या असामान्य शुक्राणु निर्माण ही इसका कारण नहीं होता।

अध्ययन में कहा गया है कि बिना किसी निश्चित कारण के बावजूद कुछ बाँझ दम्पतियों में से किसी एक के भी जनन तंत्र में इन जीवाणुओ का मौन संक्रमण बाँझपन का कारण हो सकते हैं। जनन तंत्र से इन जीवाणुओं का जीवाणुनाशक उपायो से उन्मूलन किया जा सकता है।

अनुसंधान कार्य में नवचेतन कौर भी शामिल थी जो पंजाब विश्वविद्यालय के रीडर डॉ. विजय प्रभा के निर्देशन में कर रही थी। डॉ. सिंह ने अपने अध्ययन में इस बात पर जोर डाला है कि बाँझपन के इलाज के दौरान इस बात की जाँच की जानी चाहिए कि कहीं पुरूष या महिला के जनन तंत्र में संक्रमण तो नहीं है।