...निश्चय कर अपनी जीत करूँ
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह ने सोमवार को लोकसभा में विश्वास मत प्रस्ताव पेश करते हुए सिखों के दसवें गुरु गोविन्दसिंह के उस प्रसिद्ध युद्ध आह्वान को दोहराया, जिसमें ईश्वर से युद्ध क्षेत्र में विजय हासिल करने की प्रार्थना की गई है।डॉ. सिंह ने गुरु गोविन्दसिंह की ये पंक्तियाँ पढ़ीं- देहु शिवा वर मोहे, शुभकरमन तें कबहुँ न टरूँ। न डरूँ अरसौं जब जाए लडूँ, निश्चय कर अपनी जीत करूँ।।अर सिख हूँ अपने ही मन सौं, इहि लालच हों गुन तौं उचरौं। जब आव की औंध निधान बनै, अत हि रन में तब जूझ मरूँ।।इस प्रार्थना में ईश्वर से वरदान माँगा गया है कि वे भक्त को शुभ कर्मों पर डटे रहने की ताकत दें तथा दुश्मनों पर विजय हासिल करने की शक्ति दें। कुछ अन्य सदस्यों ने भी भाषण में कविताओं का सहारा लिया। बसपा के सांसद ब्रजेश पाठक ने कांग्रेस को चेतावनी देते हुए कहा-'
मगरूर जितने दरख्त थे, हैरत में पड़ गए, ऐसी चली हवा कि वे जड़ से उखड़ गए।' अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु समझौता करने का विरोध करते हुए पाठक ने प्रसिद्ध शायर फिराक गोरखपुरी का शे'र पढ़ा-'
अमेरिकी गुलामी पर रजामंद है तू, शिकवा मुझे तुझसे है अमेरिका से नहीं।' महँगाई पर उन्होंने कहा- 'मनमोहनसिंह हमें बख्श दीजिए, रोटी-दाल तो दे नहीं पाए, बिजली से क्या भरेगा पेट।'