नहीं मिली कनिमोझी को जमानत
द्रमुक सांसद कनिमोझी और सात अन्य की उम्मीदों को झटका देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी और कहा कि उनके खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं।अदालत ने कनिमोझी तथा चार अन्य की जमानत याचिकाओं का विरोध नहीं करने के सीबीआई के रुख को खारिज करते हुए कहा कि उसकी ओर से रियायत दिए जाने का कानून की नजर में कोई मतलब नहीं है। सीबीआई के रूझान ने आरोपियों में यह उम्मीद जगा दी थी कि अब उन्हें जमानत मिल सकेगी।विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओपी सैनी ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि अभियोजन पक्ष द्वारा किसी आरोपी की जमानत अर्जी पर इस तरह से आपत्ति जताना या रियायत देने का कानून की नजर में कोई मतलब नहीं है क्योंकि जमानत अर्जी पर सख्ती से तथा मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के अनुरूप ही फैसला लेने की जरूरत है।अदालत ने कनिमोझी, कलैगनार टेलीविजन के प्रबंध निदेशक शरद कुमार, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजीटेबल्स के निदेशक आसिफ बलवा और राजीव अग्रवाल एवं बॉलीवुड फिल्म निर्माता करीम मोरानी की जमानत अर्जियों का विरोध नहीं किया था।आरोपी पिछले नौ से पांच महीने जेल में बिता चुका है। कनिमोझी 20 मई से जेल में बंद हैं।पांच आरोपियों के अलावा अदालत ने पूर्व संचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, पूर्व संचार मंत्री ए.राजा के पूर्व निजी सचिव आरके चंदोलिया तथा स्वान टेलीकॉम के शाहिद उस्मान बलवा की जमानत अर्जियों को भी खारिज कर दिया।दालत ने कहा कि मामले से जुड़े तथ्य और आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं, जिनका देश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ा। न्यायाधीश ने कहा कि मेरा यह मानना है कि किसी आरोपी की जमानत का कोई मामला नहीं बनता।तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री के करूणानिधि की पुत्री कनिमोझी ने अपनी जमानत याचिका में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 437 के तहत महिला होने के नाते जमानत दिए जाने की गुहार की थी। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी कनिमोझी करूणानिधि समाज के उच्च वर्ग से ताल्लुक रखती हैं और संसद की सदस्य हैं। यह बात सोची भी नहीं जा सकती कि महिला होने के नाते उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव किया जा रहा है।न्यायाधीश ने मोरानी की इस दलील को खारिज कर दिया कि वह बीमार हैं और उन्हें सीआरपीसी की धारा 437 के तहत जमानत दी जानी चाहिए। न्यायाधीश ने कहा कि मेडिकल रिकॉर्ड यह नहीं सुझाते कि मोरानी की अस्वस्थता का स्तर इतना अधिक है कि उनकी हिरासत को स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह के तौर पर श्रेणीबद्ध किया जा सके।बचाव पक्ष की दलीलों के संबंध में अदालत ने कहा कि यह अभूतपूर्व प्रकृति का मामला है जिसमें गवाहों पर काफी दबाव है। बचाव पक्ष ने कहा था कि उन्हें जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि उनके द्वारा गवाहों को प्रभावित करने या साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने की कोई आशंका नहीं है।अदालत ने कहा कि मामले में अधिकतर गवाह आरोपियों के रिश्तेदार, कर्मचारी, सहयोगी और कनिष्ठ साथी हैं और उनके प्रभावित होने की आशंका भलीभांति बनी हुई है। अदालत ने विभिन्न आरोपियों की जमानत याचिका को इस आधार पर भी स्वीकार नहीं किया कि वह पिछले नौ से पांच माह से जेल में बंद हैं और उनका मुकदमा निकट भविष्य में समाप्त होने के आसार भी नहीं हैं।सैनी ने कहा कि बार-बार यह दलील दी गई कि यह कारण आरोपियों को जमानत देने का अच्छा आधार हैं। मैंने इन दलीलों पर सावधानीपूर्वक और ध्यान से विचार किया। एक विशिष्ट मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में इन कारकों को ध्यान में रखा जा सकता है, लेकिन कुछ मामलों में ऐसा नहीं हो सकता।अदालत ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की ‘अधिक गंभीर’ धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत आरोप तय होने के बाद, जिसमें अधिकतम सजा के तौर पर आजीवन कारावास का प्रावधान है, आरोपियों के मामले में कोई अनुकूल परिवर्तन नहीं आता।’अदालत ने कहा कि मैंने पाया कि आरोप तय होने के बाद आरोपियों के खिलाफ मामला स्पष्ट हो गया है और अगले पायदान पर पहुंच गया है। न्यायाधीश ने कहा कि उससे भी बढ़कर भारतीय दंड संहिता की एक अधिक गंभीर धारा 409 को जोड़ा गया है, जिसमें आजीवन कारावास अथवा दस वर्ष तक बढ़ाई जा सकने वाली सजा का प्रावधान है।सीबीआई ने मामले के उन पांच आरोपियों के लिए जमानत का विरोध नहीं किया था, जिन पर अधिकतम पांच वर्ष तक की सजा वाले आरोप लगे हैं, अदालत ने इस तथ्य के कानूनी पहलुओं का विवरण देते हुए कहा कि इन्हें जमानत इसलिए नहीं दी जा सकती क्योंकि इन पर ऐसे अपराधों के आरोप हैं, जिनसे बड़े और गंभीर अपराधों को शह मिली अथवा उनकी साजिश रची गई, जिसके लिए मुख्य अपराध जितनी सजा का प्रावधान है।करुणानिधि परेशान : द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि अपनी बेटी और पार्टी सांसद कनिमोझी को 2जी स्पेक्ट्रम मामले में दिल्ली की एक अदालत द्वारा जमानत न दिए जाने से बहुत परेशान हैं। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री को उम्मीद थी कि कनिमोझी को जमानत मिल जाएगी क्योंकि सीबीआई ने उसकी जमानत याचिका का विरोध नहीं किया था। (भाषा)