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Written By राजश्री कासलीवाल

कुछ ऐसा ना करें कि !

जीवन के रंगमंच से...

कुछ ऐसा ना करें कि ! -
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मनुष्य जीवन वास्तव में बहुत ही महत्वपूर्ण है। वह इसलिए कि भगवान ने हमें पशु-पक्षियों से ज्यादा बहुत कुछ चीजें दी हैं। जिसमें बोलने और सोचने की क्षमता से तो भगवान ने हमें मालामाल कर दिया है। पशु-पक्षी बेचारे कितने बेबस हैं, मजबूर हैं, चाहकर भी कुछ कह नहीं सकते, कुछ बोल नहीं सकते। लेकिन भगवान की एक अच्छी नेमत हमें विरासत में प्राप्त है और वह है दूसरों को अपना दु:ख-दर्द, सुख-दु:ख बाँटने की क्षमता।

भगवान के द्वारा दी गई इस विरासत को हमें अच्छे कामों में लगाना चाहिए ताकि हमारा अगला भव, अगला जन्म सुधर जाए। जानते-बूझते इस मानवीय जीवन में ऐसे कर्म ना करो कि हमारा अगला जन्म और उसके बाद के कई जन्म बिगड़ जाएँ।

पशु-पक्षी बेचारे लाचार होते हैं। लेकिन इंसान तो जाने-अनजाने में कई ऐसे कर्म कर कर बैठता है जिससे वापस उबरना, या उस बात को भूलना बहुत मुश्किल हो जाता है। हाल ही में मेरे सामने भी ऐसा ही एक वाकया आया।

कल ही मैं अपनी एक पुरानी सहेली से मिलने गई थी। वह दिल की बहुत अच्छी है। मैं उसे काफ‍ी समय से जानती हूँ। उसके परिवार में पति-पत्नी एक बेटे के अलावा उसकी सासु माँ भी रहती है। काफी अच्छा और संपन्न परिवार है। सबकुछ बहुत अच्छा है। मेरी सहेली के पति इन दिनों यूएसए में जॉब कर रहे हैं और मेरी सहेली यहीं इंदौर में जॉब करती है। वह काफी अच्छी कंपनी में, अच्छी पोजीशन पर है।

हुआ यूँ कि उसके परिवार में इन लोगों के अलावा उसकी एक ननद भी है जो कि शादीशुदा है। उसके पास भी सबकुछ है। लेकिन हाल ही में मेरी सहेली की ननद को गाँव में कुछ जमीन खरीदने की इच्छा हुई। तो उन्होंने इस जमीन के लिए करीब नौ-दस लाख की मदद अपनी माँ से माँगी। अब सासु माँ को पता नहीं क्या सूझा कि उन्होंने पहले तो अपने यूएस में रह रहे बेटे को पैसे देने के लिए समझा-बूझाकर तैयार कर लिया।

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अब आई बारी बहू की, तो उन्होंने बहू से यह कहकर कि नगर निगम में मकान का कर चुकाना है और फिर रिलायंस का बिल भरना है, ऐसे बहाने बनाकर बहू से कोरे चेकों पर साइन करवा लिए। जब बहू ने पूछा कि 'मम्मी मैं चेक में कितना अमाउंट भरूँ' तो सास ने यह कहकर उसे समझा दिया कि तुम तो साइन कर दो बस अमाउंट मैं भर लूँगी। बहू का क्या था उसने अपनी सास जैसी माँ पर विश्वास करके चेक साइन करके दे दिए। लेकिन बहू की आँखें तो तब खुली जब उसके बैंक के अकाउंट से करीब दस लाख रुपए के चेक पास किए गए और जब उसके मोबाइल पर बैंक ने एसएमएस भेजा कि आपके अकाउंट से इतनी राशि ट्रांसफर की गई है।

मैसेज पढ़ने के बाद मेरी सहेली का जो हाल था वो मैं बयाँ नहीं कर सकती। लेकिन जब उसने बैंक में और घर में इस बात की जानकारी निकाली कि आखिर इतने बड़े अमाउंट का चेक उसके अकाउंट से पास कैसे हो गया। उसने तो किसी को इतनी बड़ी राशि चेक दिया ही नहीं। फिर इतनी राशि अकाउंट से गई कहाँ? तब उसे इस बात का पता लगा कि इतनी बड़ी राशि के चेक उसकी अपनी सासु माँ ने अपनी बेटी को जमीन खरीदने के लिए अपनी बेटी के अकाउंट में ट्रांसफर करवा दिए।

अब आप सोचिए क्या आप अपनी माँ जैसी सासु माँ से इस तरह के व्यवहार की उम्मीद लगा सकते हैं। और वह भी जब वह रकम उनकी अपनी बहू की खुद की मेहनत की कमाई की हो। आखिर एक बहू भी तो किसी की बेटी होती है। यह बात अलग है कि वह आपके घर ब्याह कर आई इसलिए आपकी खुद की बेटी नहीं है लेकिन बेटी और बहू में इतना फर्क क्यों? एक माँ के लिए दोनों बेटियों (बहू और बेटी) के प्रति नजरिया एक जैसा होना चाहिए। पर पता नहीं क्यों एक नारी ही आज तक दूसरी नारी को वह स्थान, वह सम्मान नहीं दे पाईं। आखिर क्यों?

क्या मेरी सहेली की सासू माँ ने जो किया वह सही है? इस विषय पर अपने विचार अवश्य लिख भेजें।