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Written By ND

तोत्तोचान की चोटियाँ

तोत्तोचान की चोटियाँ -
- सोनाली
प्यारे दोस्तों, नया साल और गणतंत्र दिवस आप सब को मुबारक हो। अब तक तो आप ने कई सारे उत्सव मना लिए होंगे, जैसे नववर्ष, मकर संक्रांति और गणतंत्र दिवस भी तो आने वाला है। कैसे रहे उत्सव, खूब मजा आया ना? तोत्तोचान के लिए भी वह दिन उत्सव के बराबर था, जब वह चोटियाँ बनाकर स्कूल गई थी। पर उसके इस उत्सव का मजा स्कूल के एक शरारती लड़के ने बिगाड़ दिया। कैसे? चलो देखें।

तोत्तोचान की सबसे बड़ी इच्छा यही थी कि वह चोटियाँ बनाकर स्कूल जाए और सब उसे देखकर तारीफ करें। स्कूल में बड़ी लड़कियाँ चोटी बनाकर आती थीं, जिन्हें देखकर उसकी यह इच्छा और बढ़ जाती थी। उसके बाल थोड़े लंबे थे पर माँ उसकी चोटी नहीं बनाती थी। आखिर एक दिन उसने माँ से जिद करके अपनी दो नन्ही-नन्ही चोटियाँ बनवा ही लीं। आइने में अपने आप को देखने के बाद तोत्तोचान को लगा कि ये चोटियाँ तो बेहद पतली हैं, बिल्कुल पूँछ की तरह। फिर भी वह रॉकी को चोटियाँ दिखाने दौड़कर गई।

स्कूल जाते समय तोत्तोचान अपनी गर्दन को सीधा ताने हुए थी कि कहीं चोटियाँ खुल न जाएँ। वह स्कूल पहुँची तो सब लड़कियाँ उसके पास चोटियाँ देखने जमा हो गई। उसने भी लड़कियों को अपनी चोटी छूकर देखने दी। पर लड़कों पर उसकी चोटी का कोई असर ही नहीं पड़ा और किसी ने भी उसकी तारीफ नहीं की। इससे तोत्तोचान थोड़ा उदास हो गई।

खाने की छुट्टी में तोत्तोचान की क्लास का एक लड़का ओए अचानक चिल्लाया, 'वाह! तोत्तोचान ने आज अपने बाल अलग तरह से बनाए हैं।' तोत्तोचान खुशी से झूम उठी कि किसी ने तो मेरी चोटियों को देखा। तभी ओए उसके पास आया और उसकी चोटियों को पकड़कर खींचता हुआ बोला, 'वाह, ये चोटियाँ तो रेल में लटकने वाले चमड़े के हत्थों से भी अच्छी हैं। मैं थोड़ी देर इनको ही पकड़कर खड़ा रहता हूँ।' ओए ने तोत्तोचान की चोटियों को 'जोर लगा के हैय्या' कहकर खींचना शुरू कर दिया। तोत्तोचान धम्म से जमीन पर गिर पड़ी और जोर से रोने लगी। उसे अपनी चोटियों को हत्था कहा जाना बेहद बुरा लगा।

तोत्तोचान रोती हुई हेडमास्टरजी के कमरे की ओर भागी। जब वह अंदर घुसी तो सुबक रही थी। हेडमास्टरजी ने प्यार से उससे पूछा कि क्या हुआ? उसने रोते हुए बताया कि ओए ने उसकी चोटियाँ खींची और इन्हें हत्था कहा। हेडमास्टरजी ने उसकी चोटियाँ देखीं और कहा, 'अरे! तुम्हारी चोटियाँ तो बड़ी सुंदर लग रही हैं। रोओ मत, मैं ओए को डाँटूँगा।' तोत्तोचान रोना भूलकर चोटियों की तारीफ से खुश हो उठी। उसने हेडमास्टरजी से पूछा, 'आपको मेरी चोटियाँ पसंद आईं?' बहुत, हेडमास्टरजी ने कहा और मुस्कराए। तोत्तोचान भी मुस्कराने लगी और बोली कि अब मैं नहीं रोऊँगी। ओए जोर लगा के हैय्या कहेगा तो भी नहीं।

अब तोत्तोचान फिर से अपने साथियों के पास खेलने के लिए भागी। तभी ओए उसके पास आया और बोला 'मुझे माफ कर दो, अब मैं कभी तुम्हारी चोटियाँ नहीं खींचूँगा। हेडमास्टरजी ने मुझे बताया है कि लड़कियों से हमेशा अच्छा बर्ताव करना चाहिए, उनका ख्याल रखना चाहिए।' तोत्तोचान को यह सुनकर आश्चर्य हुआ।

इससे पहले उसने किसी को भी यह कहते नहीं सुना था कि लड़कियों से अच्छा बर्ताव करना चाहिए। हर जगह लड़कों की ही पूछ होती थी। उसके परिचित कई परिवारों में भी लड़कों को ही खाना, नाश्ता सब पहले दिया जाता था और लड़कियों को हल्ला मचाने पर डाँटकर चुप कर दिया जाता था। और हेडमास्टरजी कहते हैं कि लड़कियों का ख्याल रखना चाहिए, उनसे अच्छी तरह व्यवहार करना चाहिए।

सचमुच, हेडमास्टरजी कितने अच्छे हैं। तो बच्चों, आप के साथ भी लड़कियाँ पढ़ती होंगी। आप भी उनका ख्याल रखेंगे ना! उनसे अच्छी तरह बात करेंगे तो लड़कियों को भी अच्छा लगेगा और वो आपकी तारीफ करेंगी। है ना! आप बड़े हो जाएँ तब भी इस बात को याद रखना। तो मैं चलूँ, फिर मिलूँगी।