गुरुदत्त-देवानंद : शर्ट की अदला-बदली ने बनाया दोस्त
गुरुदत्त और देवानंद ऐसे दो शख्स हैं जिन्होंने भारतीय सिने इतिहास में अपनी फिल्मों के जरिये अभूतपूर्व योगदान दिया है। उनकी फिल्में आज भी याद की जाती हैं। देवानंद और गुरुदत्त बेहद अच्छे दोस्त थे। देवानंद तो कहते भी थे कि इस फिल्म इंडस्ट्री में जहां दोस्त बहुत कम मिलते हैं, गुरुदत्त उनके सही मायनों में एकमात्र दोस्त थे। देवानंद और गुरुदत्त की दोस्ती की शुरुआत भी एक मजेदार संयोग से हुई। बात 1945 की है। देवानंद और गुरुदत्त दोनों ही फिल्मों में करियर बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। देवानंद को बतौर हीरो 'हम एक हैं' नामक फिल्म मिल गई थी। गुरुदत्त कोलकाता में एक कंपनी में टेलीफोन ऑपरेटर की नौकरी छोड़ मुंबई आ गए थे। प्रभात फिल्म कंपनी में उन्हें कोरियोग्राफर की नौकरी मिल गई थी। 'हम एक हैं' का निर्माण प्रभात फिल्म कंपनी ही कर रही थी और इससे गुरुदत्त भी जुड़े हुए थे। सेट पर गुरुदत्त और देवानंद की कभी मुलाकात नहीं हुई थी। देवानंद और गुरुदत्त एक ही लॉण्ड्री में अपने कपड़े धुलने के लिए देते थे। एक दिन देवानंद की शर्ट बदल गई और दूसरी शर्ट लॉण्ड्री से आ गई। देवानंद ने उस शर्ट को रख दिया और वे 'हम एक हैं' के सेट पर पहुंचे। वहां देवानंद की नजर एक शख्स पर पड़ी जो उनकी वही शर्ट पहन कर घूम रहा था जिसे लॉण्ड्री वाले ने लौटाया नहीं था। देवानंद ने उस शख्स को बुलाकर पूछा कि क्या यह तुम्हारी शर्ट है। उसने कहा कि नहीं यह मेरी शर्ट नहीं है। लॉण्ड्री वाला गलती से किसी ओर का शर्ट दे गया है। चूंकि मेरे पास कोई अन्य शर्ट नहीं थी इसलिए मैंने इसे पहन लिया। देवानंद ने उस शख्स को बताया कि यह उनकी शर्ट है। उस शख्स का नाम था गुरुदत्त। इस घटना के बाद दोनों बेहतरीन दोस्त बन गए। एक दिन दोनों बैठे हुए थे और बातों ही बातों में दोनों ने एक-दूसरे से वादा किया। गुरुदत्त ने कहा कि यदि वे फिल्म मेकर बने तो देवानंद को हीरो लेंगे। देवानंद ने कहा कि यदि वे फिल्म निर्माता बने तो अपनी पहली फिल्म के निर्देशन का भार गुरुदत्त को ही सौंपेंगे। धीरे-धीरे दोनों ने सफलता की सीढ़ियां चढ़ी। देवानंद ने अपना वादा निभाया। निर्माता बनते ही 'बाजी' (1951) का निर्देशन गुरुदत्त को सौंपा। गुरुदत्त ने अपना वादा अधूरे तरीके से निभाया। गुरुदत्त के प्रोडक्शन हाउस के तले बनी फिल्म 'सीआईडी' में देवानंद हीरो तो थे, लेकिन इस फिल्म का निर्देशन गुरुदत्त ने अपने सहायक राज खोसला से करवाया। जाल (1952) फिल्म में गुरुदत्त ने देवानंद को निर्देशित किया।