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Written By भाषा

संसद की बीएसएनएल को फटकार

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नई दिल्ली, संसद की एक समिति ने भारत संचार निगम लि. (बीएसएनएल) के ग्राहकों की संख्या में आ रही गिरावट के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी को आड़े हाथों लिया है।

संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति ने कहा है कि बीएसएनएल के केवल लैंडलाइन ग्राहक की नहीं घट रहे हैं, बल्कि वह मोबाइल ग्राहक भी गंवा रही है। समिति ने कहा है कि बीएसएनएल ने अपनी बाजार हिस्सेदारी में गिरावट पर रोक के लिए प्रभावी उपाय नहीं किए।

समिति ने कहा कि बीएसएनएल ने ग्राहकों द्वारा कनेक्शन सरेंडर करने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए कदम नहीं उठाए गए। इसके उलट बीएसएनएल ने अपने रुख को जायज ठहराते हुए कहा कि मोबाइल कनेक्शन देशभर में सरेंडर होते हैं और लगभग सभी सेवा प्रदाताओं को इस स्थिति को झेलना पड़ता है।

फोन कनेक्शनों के सरेंडर पर समिति द्वारा व्यक्त राय पर बीएसएनएल ने जो प्रतिक्रिया दी उससे समिति सहमत नहीं है। समिति ने कहा है कि कनेक्शन सरेंडर के कारणों का पता लगाने के लिए तुरंत स्वतंत्र अध्ययन कराए जाने की जरूरत है।

देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी ने 2008-09 के दौरान कनेक्शनों के सरेंडर के जरिए 24.36 लाख मोबाइल ग्राहक गँवाए हैं। इसके अलावा वायरलेस इन लोकल लूप (डब्ल्यूएलएल) में भी कंपनी के दो लाख ग्राहक कम हुए हैं।

समिति ने कहा कि जिस तरह से बीएसएनएल के मोबाइल और डब्ल्यूएलएल ग्राहकों ने कनेक्शन सरेंडर किए हैं, वह काफी चिंता की बात है। डब्ल्यूएलएल के तहत कनेक्शन सरेंडर करने वाले कंपनी के ग्राहकों की संख्या 2008-09 में बढ़कर 9.24 लाख हो गई।
2007-08 में यह संख्या 7.21 लाख थी। वहीं मोबाइल वर्ग में कंपनी के कनेक्शन सरेंडर करने वाले ग्राहकों की संख्या 49.42 लाख से 73.78 लाख पर पहुँच गई। समिति के अनुसार, लैंडलाइन वर्ग में कंपनी की स्थिति में मामूली सुधार हुआ है। 2007-08 में बीएसएनएल का लैंडलाइन कनेक्शन सरेंडर करने वाले ग्राहकों की संख्या 44. 09 लाख थी, जबकि 2007-08 में यह घटकर 43. 13 लाख पर आ गई।

समिति का कहना है कि आज ग्राहकों के पास कई तरह के विकल्प उपलब्ध हैं और वे उसी सेवा प्रदाता का चयन करते हैं, जो बेहतर सेवा देते हैं। समिति ने कहा कि बीएसएनएल को इस बात का ध्यान रखना चाहिए।

मोबाइल ग्राहकों की संख्या के मामले में बीएसएनएल निजी कंपनियों के मुकाबले पिछड़ गई है। (भाषा)