पेन ड्राइव खरीदने से पहले हो जाए सावधान!
बाजार में नकली पेन ड्राइव की भरमार
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राजीव शर्मा अगर आप कंप्यूटर की बड़ी-बड़ी फाइलों, फोटो, वीडियो-ऑडियो डेटा वगैरह के लिए 'हाई स्टोरेज' पेन ड्राइव (फ्लैश ड्राइव) खरीदने के लिए बाजार जा रहे हैं या कहीं कोई आपको बेहद सस्ती पेन ड्राइव बेचने की कोशिश कर रहा है, तो जरा होशियार हो जाइए। नक्कालों ने लोगों को फंसाने के लिए आजकल एक नए किस्म का जाल फैलाया हुआ है। जिस पेन ड्राइव को आप सस्ती मानकर फायदे का सौदा समझते हैं, वह महंगा सौदा साबित हो सकती है। दिल्ली के तमाम छोटे-बड़े बाजारों में हाई स्टोरेज क्षमता वाली ऐसी 'फेक' (नकली) पेन ड्राइव खरीदी-बेची जा रही हैं जो दिखने में तो हूबहू किसी प्रसिद्ध कंपनी का ही उत्पाद लगती हैं, लेकिन असल में होती नकली हैं। इन पर भरोसा करके आपको न केवल आर्थिक नुकसान ही उठाना पड़ेगा, बल्कि अपने बेशकीमती डेटा से भी हमेशा के लिए हाथ धोना पड़ सकता है। ये ऐसी पेन ड्राइव होती हैं जिनसे आप तो क्या, आपका कंप्यूटर भी धोखा खा जाता है यानी आपके साथ-साथ आपके कंप्यूटर की 'आंखों' में भी धूल झोंक दी जाती है।
नेहरू प्लेस, वजीरपुर, करोल बाग, लाजपत राय मार्केट, चांदनी चौक वगैरह जैसे बाजारों में ऐसी फेक पेन ड्राइव बेचने वालों की भरमार है। पालिका बाजार में तो धड़ल्ले से लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। बाजार में 64 जीबी वाली असली पेन ड्राइव की कीमत करीब 7000 रुपए है, लेकिन असली के नाम पर बेची जाने वाली नकली पेन ड्राइव 600-700 रुपए की बताकर महज 400 रुपए में ही थमा दी जाती है। चूंकि यह फेक पेन ड्राइव किसी बड़ी व प्रसिद्ध कंपनी के ब्रांड, रंग-रूप और वैसे ही पैकिंग में होती है, इसलिए लोग भी आसानी से इसके झांसे में आ जाते हैं।आईटी विशेषज्ञों के अनुसार, पेन ड्राइव के अंदर मुख्य रूप से दो हिस्से होते हैं। एक तो 'स्टोरेज चिप' जिसमें सारा डेटा संग्रहीत होता है और दूसरा 'स्टोरेज कंट्रोलर चिप' जहां डेटा स्टोरेज का रिकॉर्ड रहता है। धोखाधड़ी कर रहे लोग अपने पेन ड्राइव की स्टोरेज चिप के रूप में तो नाममात्र की क्षमता वाली चिप ही इस्तेमाल करते हैं, पर स्टोरेज कंट्रोलर चिप 32 जीबी, 64 जीबी या इससे भी बड़ी क्षमता की लगा देते हैं। ऐसा करने पर जब भी उस पेन ड्राइव को किसी कंप्यूटर पर चेक किया जाता है, तो वह स्टोरेज कंट्रोलर चिप के अनुसार ही 32 जीबी, 64 जीबी या और ज्यादा दिखा देता है। यहां तक कि उस पेन ड्राइव को बार-बार 'फॉरमेट' करने के बाद भी वही स्टोरेज क्षमता दिखाई देती है, जबकि असल में स्टोरेज क्षमता उतनी होती ही नहीं।ऐसे फेक पेन ड्राइव के चक्कर में फंस चुके लोग जब उसमें अपना डेटा डालने की कोशिश करते हैं, तो फाइल-फोल्डर के रूप में डेटा तो कॉपी होता हुआ नजर आता है, लेकिन इसके बाद जब उन फाइल-फोल्डर को खोलने या कहीं और कॉपी करने की कोशिश की जाती है, तो उनके नाम अजीब से अक्षरों में तब्दील होने लगते हैं और थोड़ा-सा डेटा भी उपलब्ध नहीं हो पाता। अगर कुछ दिखाई भी देता है तो अगली बार उसे 'एक्सेस' करने पर वह भी गायब होने लगता है। यानी एक बार तो आपको सब कुछ ठीक लगता है, लेकिन पेन ड्राइव को निकालकर फिर से चेक करने पर सारा डेटा खत्म हो चुका होता है। आपको लगता है कि शायद पेन ड्राइव ठीक से फॉरमेट नहीं की गई है। आप उसे फॉरमेट करके 'प्रॉपर्टी' चेक करते हैं, तो एक बार फिर सब कुछ 'सही' दिखाई देता है, पर जब उसमें डेटा ट्रांसफर किया जाता है, तो सारा 'मामला साफ' दिखाई देता है। तब आपको पता चलता है कि पेन ड्राइव खराब है।इस बारे में कंप्यूटर विशेषज्ञों का सुझाव है कि पेन ड्राइव की असलीयत जांचने का सबसे आसान व सही तरीका यही है कि आप अपने नए पेन ड्राइव को इस्तेमाल करने से पहले भली-भांति फॉरमेट कर लें और फिर उसकी क्षमता जितना डेटा उसमें ट्रांसफर कर दें। इसके बाद पेन ड्राइव को निकालकर फिर से कंप्यूटर में लगाकर अपने डेटा को कंप्यूटर में कहीं पेस्ट करके उसकी प्रॉपर्टी जांच लें। नकली पेन ड्राइव होने पर इतना सब संभव ही नहीं हो पाएगा। इसके अलावा इंटरनेट पर भी ऐसे कई सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं जिनकी मदद से आप असली-नकली पेन ड्राइव की जांच कर सकते हैं।