मुझे हर कहीं कविता दिखाई देती है
- संतोष अलेक्स
कहा जा रहा है कि कविता खत्म हो रही हैपर मुझे हर कहीं कविता दिखाई देती हैमां की आंखों मेंपिता की सोच मेंभाई की बेचैनी मेंबहन की हंसी मेंजिसे मैं छूता हूंदेखता हूंमहसूस करता हूंहर वह चीज कविताझरनों का बहनानदी का समुंदर में समानाऔर सुबह का आसमानकविता ही तो रचती हैंशाम को लौटती हुईं चिडि़यांकिसान का बीज बोनाउसके बदन पर चमकतीपसीने की बूंदकविता हैकविता है समूचा जीवनसमूची धरती ही कविता है।