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जीवन क्या है
प्रभा सक्सेना जीवनपेड़ के खोखल की तरह हैसाँप बिच्छू छिप जाते हैंपक्षी डालियों पर बसेरा लेकरउड़ जाते हैं जड़ों में दीमक लग जाती हैआँखें रोशनदान की तरहखुली पर बंददेखती हैं - लड़ियाँ मिट्टी मेंमिल जाती हैं।साभार : संबोधन