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Written By ND

उग्रवाद छोड़ नृत्य कर रहे हैं

Terrorism militancy mizoram | उग्रवाद छोड़ नृत्य कर रहे हैं
आइजल से रविशंकर रवि

मिजोरम यदि अपनी उपलब्धि पर गर्व कर रहा है तो उसकी ठोस वजह है। सबसे अधिक देर तक सबसे अधिक कलाकारों के साथ प्रसिद्ध बांस नृत्य करने के रिकॉर्ड की वजह से मिजोरम का नाम गिनीज बुक अफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल कर लिया गया है।

इससे मिजोरम के बांस नृत्य को विश्व स्तर पर मान्यता तो मिली ही, मिजोरम के आम लोग खुद पर गर्व कर रहे हैं। कभी उग्रवाद के लिए बदनाम रहा मिजोरम आज नृत्य के लिए विख्यात बन रहा है। इसलिए यहाँ नृत्य और संस्कृति के प्रति ललक बढ़ी है और युवा समाज इस ओर आकर्षित हुआ है।

बारह मार्च मिजोरम का ऐतिहासिक दिन था। सूरज उगने के पहले से ही आइजल के लोग बहुरंगे और आकर्षक लिबास में घर से निकल पड़े। हर सड़क और गली से निकल पड़े। हर सड़क और गली से निकलकर लोग असम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की ओर से दिया गया प्रमाणपत्र राइफल्स मैदान की ओर बढ़ने लगे।

सड़कों पर लोगों का रेला चल रहा था। आइजल के आसपास के इलाके के लोग भी उस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनने के लिए आ रहे थे इसलिए उस दिन दोपहर तक के लिए शहर की अधिकांश सड़कों पर वाहन चलने पर रोक लगा दी गई थी क्योंकि पैदल चलने वालों को सड़कों पर जगह नहीं मिल रही थी। हर उम्र और आय वर्ग के लिए दीवानों की तरह उत्साहित थे। उनकी चाल बता रही थी कि आज मिजोरम का एक नया इतिहास गढ़ा जाएगा। और कोई बात हो ही नहीं रही थी। हर कोई उस दिन रचे जाने वाले इतिहास की चर्चा कर रहा था। उस दिन का सूरज भी लोगों को कुछ खास लग रहा था। यह मौका था गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्‍स में बांस नृत्य को दर्ज कराने का।

इस ऐतिहासिक आयोजन का दायित्व मिजोरम सरकार के संस्कृति विभाग के जिम्मे था। आयोजन के लिए असम राइफल्स के मैदान को विशेष रूप से सजाया गया था। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्‍स के अधिकारियों के लिए विशेष मंच बनाए गए थे ताकि वे पूरे आयोजन पर नजर रख सकें। इतने लोगों का समागम और नृत्य एक मैदान में नहीं हो सकता था इ‍सलिए असम राइफल्स के मैदान के साथ चनमारी से सिकुलपुइकान तक की चार किमी लंबी सड़क को भी आयोजन स्थल में शामिल कर लिया गया था फिर भी जगह कम पड़ रही थी। पूरे शहर में साउंड सिस्टम को पूरी तरह परखा जा चुका था क्योंकि बांस का यह नृत्य पूरी तरह ड्रम की आवाज से संचालित है। जरा-सी चूक नर्तकों को घायल कर सकती थी इसलिए डॉक्टर और नर्सों की पूरी टीम विशेष आकर्षक लिबास में हर जगह मौजूद थी।

नियत समय पर ढोल और ड्रम की आवाज के साथ नृत्य आरंभ हो गया तब पूरा शहर मौन हो गया था। सिर्फ ड्रम की आवाज और बांस की बल्लियों के बीच थिरकते पैर की थाप सुनाई पड़ती रही। सड़कों के दोनों किनारे खड़े पचास हजार से अधिक लोग कलाकारों का उत्साह बढ़ा रहे थे। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्‍स के अधिकारियों के अनुसार इस आयोजन में कुल दस हजार सात सौ छत्तीस कलाकारों ने भाग लिया।

करीब ढाई हजार लोगों ने असम राइफल्स के मैदान में नृत्य किया तो आठ हजार से अधिक लोगों ने चार किमी लंबी सड़क पर नृत्य किया। जब गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्‍स के मुख्‍य निर्णायक लुसिया सिनिगाग्लीसी ने मिजोरम के कला और संस्कृति मंत्री पी.सी.जोरमा सांगलिआना को प्रमाण पत्र सौंपा।

जुलिया ने खुद स्वीकार किया मिजोरम के कलाकारों को अनुशासन और उत्साह तारीफ के काबिल है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए मिजोरम के लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्‍स एसोसिएशन मिजोरम के लिए कई खुशियाँ लेकर आएगा। अब हमेशा के लिए उनकी वेबसाइट पर मिजोरम का नाम दर्ज हो गया है। उन्होंने कहा कि बांस नृत्य दक्षिण एशियाई देशों में होते हैं। मिजोरम का रिकॉर्ड कौन तोड़ेगा, यह तो समय बताएगा।

इसके सफल आयोजन का श्रेय जोरमा सांगलिआना को जाता है। ऐतिहासिक आयोजन को सफल बनाना आसान नहीं था। वे पिछले एक साल से इसकी तैयारी में लगे थे। इसके लिए राज्य भर से बांस नृत्य से जुड़े कलाकारों से संपर्क किया गया। उनकी कई कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। कई बार रिहर्सल किए गए। तब इस बात का अहसास हुआ कि अब फाइनल शो किया जा सकता है।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्‍स कार्यालय से अनुमति मिलते ही अंतिम तैयारी आरंभ कर दी गई। उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के बाद अब विश्व के लोग मिजोरम को ज्यादा जान पाएँगे। इसका लाभ मिजोरम को पर्यटन को बढ़ावा देने में भी मिल सकता है। उन्होंने उन हजारों कलाकारों को बधाई दी जिनके अथक प्रयास से यह संभव हो पाया।