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Written By WD
Last Modified: रविवार, 3 जून 2007 (01:35 IST)

रॉबर्ट ग्राहम पोलॉक

रॉबर्ट ग्राहम पोलॉक -
बाएँ हाथ से अर्जित महानता
ईस्टर्न प्रोविंस, ट्रांसवॉल, दक्षिण अफ्रीका और शेष विश्व एकादश
बाएँ हाथ के बल्लेबाज, दांए हाथ के लेग ब्रेक गेंदबा

ग्राहम पोलॉक निःसंदेह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सर्वकालीन महान दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज थे और गैरी सोबर्स के बाद सर्वश्रेष्ठ खब्बू बल्लेबाज भी। कद में काफी लंबे, चौड़े कंधे का यह व्यक्तित्व बेहद सहजता और खूबसूरत टाइमिंग के साथ बड़े ताकतवर स्ट्रोक्स खेलने में माहिर था।

उनकी बल्लेबाजी में आक्रामक और सुरक्षात्मक शैली का खूबसूरत मिश्रण था। उनकी गेंदबाजी भी इतनी सटीक और प्रभावशाली थी कि अधिकाँश बल्लेबाजों को वह सुरक्षात्मक रुख अपनाने पर विवश कर देते थे।

क्रिकेट ग्राहम के खून में था। स्कॉटलैंड में जन्मे उनके पिता ऑरेन्जफ्री स्टेट के लिए विकेटकीपिंग किया करते थे, उनके बड़े भाई पीटर पोलॉक तेज टेस्ट गेंदबाज थे। मात्र 9 वर्ष की उम्र में ही ग्राहम ने ग्रे जूनियर स्कूल के लिए खेलते हुए यूनियन हाई के विरुद्ध अपना पहला शतक बनाया और विरोधी टीम के सभी 10 विकेट मात्र 25 रन की कीमत पर लिए।

17 वर्ष की उम्र में वह देश की प्रतिष्ठित क्यूरी कप के लिए शतक बनाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज बने और 19 वर्ष की उम्र में दक्षिण अफ्रीका के लिए खेलते हुए पहले ही टेस्ट में उन्होंने दोहरा शतक लगाया। यह कारनामा करने वाले भी वह सबसे युवा बल्लेबाज रहे।

अभी उन्होंने अपने 19 वर्ष पूरे किए ही नहीं थे कि ट्रेवर गोडार्ड की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया गई टीम के तीसरे टेस्ट में और फिर चौथे टेस्ट में उन्होंने शतक लगाया और एडी बार्लो के साथ तीसरे विकेट के लिए 341 रनों की विशाल साझेदारी भी की, जो उन्होंने केवल 283 मिनट में बनाई।

1969-70 में दक्षिण अफ्रीका द्वारा खेली गई आखिरी टेस्ट श्रृंखला में भी पोलॉक ने शानदार 274 रनों की पारी डरबन में खेली। इस श्रृंखला में पोलॉक ने 73 का औसत रखते हुए शानदार बल्लेबाजी की और दक्षिण अफ्रीका को चारों टेस्ट में विजय दिलवाई। उनका यह प्रदर्शन टेस्ट क्रिकेट में रंगभेद के कारण दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के निष्कासन के फलस्वरूप अंतिम रहा।

ग्राहम पोलॉक का संक्षिप्त लेकिन अति-असाधारण प्रदर्शन उन्हें बहुत ही कम उम्र में विश्व के महान बल्लेबाजों की श्रेणी में खड़ा करने में सफल रहा और आज भी उनके प्रशंसक बड़ी सहजता से उनके द्वारा मारे गए अफर्टलेस स्ट्रोक्स को याद करते थकते नहीं हैं।

टेस्ट कॅरियर रिकॉर्ड : 23 टेस्ट, 41 पारियाँ, 4 नॉट-आउट, 274 उच्चतम स्कोर, 2256 रन, 60.97 औसत, 7 शतक, 11 अर्द्धशतक, 17 कैच, 414 गेंदे, 204 रन, 4 विकेट, 51 औसत, 2-50 सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी।

प्रथम श्रेणी कॅरियर रिकॉर्ड (1961-1984) : 247 मैच, 414 पारियाँ, 51 नॉट-आउट, 274 उच्चतम स्कोर, 19813 रन, 54.58 औसत, 60 शतक, 237 कैच, 2062 रन, 43 विकेट, 47.95 औसत, 3-46 सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी।