नवदुर्गा माता की स्तुति
भगवान् श्रीकृष्ण के मुख से माता की स्तुति
नवदुर्गा बारे में स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण माता की स्तुति में कहते हैं-त्वमेव सर्वजननी मूलप्रकृतिरीश्वरी।त्वमेवाद्या सृष्टिविधौ स्वेच्छया त्रिगुणात्मिका॥कार्यार्थे सगुणा त्वं च वस्तुतो निर्गुणा स्वयम्।परब्रह्मास्वरूपा त्वं सत्या नित्या सनातनी॥तेजःस्वरूपा परमा भक्तानुग्रहविग्रहा।सर्वस्वरूपा सर्वेशा सर्वाधारा परात्पर॥सर्वबीजस्वरूपा च सर्वपूज्या निराश्रया।सर्वज्ञा सर्वतोभद्रा सर्वमंगलमंगला॥।तुम्हीं विश्वजननी मूल प्रकृति ईश्वरी हो, तुम्हीं सृष्टि की उत्पत्ति के समय आद्याशक्ति के रूप में विराजमान रहती हो और स्वेच्छा से त्रिगुणात्मिका बन जाती हो। यद्यपि वस्तुतः तुम स्वयं निर्गुण हो तथापि प्रयोजनवश सगुण हो जाती हो।तुम परब्रह्मस्वरूप, सत्य, नित्य एवं सनातनी हो। परम तेजस्वरूप और भक्तों पर अनुग्रह करने हेतु शरीर धारण करती हो। तुम सर्वस्वरूपा, सर्वेश्वरी, सर्वाधार एवं परात्पर हो। तुम सर्वाबीजस्वरूप, सर्वपूज्या एवं आश्रयरहित हो। तुम सर्वज्ञ, सर्वप्रकार से मंगल करने वाली एवं सर्व मंगलों की भी मंगल हो।नवरात्रि पर्व पर श्रद्धा और प्रेमपूर्वक महाशक्ति भगवती देवी की उपासना करने से यह निर्गुण स्वरूपा देवी पृथ्वी के सारे जीवों पर दया करके स्वयं ही सगुणभाव को प्राप्त होकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश रूप से उत्पत्ति, पालन और संहार कार्य करती हैं।