समाजसेवा के लिए वकालत छोड़ दी
मुरलीधर देवीदास आमटे यानी बाबा आमटे ने क्रिश्चियन मिशन स्कूल नागपुर से प्रारंभिक पढ़ाई और नागपुर विवि से कानून का अध्ययन करने के बाद उन्होंने वकालत शुरू की, लेकिन मुरलीधर का मन कहीं न कहीं समाज के दबे-कुचले लोगों के लिए तड़पता था। आखिरकार वह दिन भी आ ही गया जब उन्होंने अपना पूरा जीवन समाजसेवा को समर्पित कर दिया। शादी के बाद उनकी पत्नी साधनाताई ने भी समाजसेवा में कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ दिया। एक तरह से बाबा का पूरा परिवार ही समाजसेवा में लगा है। उनके दोनों बेटे विकास और प्रकाश भी उनके बताए मार्ग पर चल रहे हैं।विकास आनंदवन का कार्य संभालते हैं और प्रकाश विदर्भ के हेमलक्ष में मिड़या व गोंड जनजाति के कल्याण कार्य में जुटे हैं। 1949 में बाबा आमटे ने कुष्ठरोग से ग्रस्त लोगों के लिए महारोग सेवा समिति बनाई और तन-मन से उनकी सेवा में जुट गए। कुष्ठ रोगी बाबा को अपना भगवान मानते थे। केवल इतना ही नहीं, उन्होंने समाजसेवा के क्षेत्र में विभिन्ना वर्गों के लिए अनेक कल्याणकारी काम किए।