बुधवार, 9 अक्टूबर 2024
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बाबासाहेब अंबेडकर पर कविता : मैं नतमस्तक हो बाबा, श्रद्धा के फूल चढ़ाऊं

बाबासाहेब अंबेडकर पर कविता : मैं नतमस्तक हो बाबा, श्रद्धा के फूल चढ़ाऊं - Poem on Bhimrao Ambedkar
मैं नतमस्तक हो बाबा, श्रद्धा के फूल चढ़ाऊं, 
जय भीमा, जय भीमा, तेरे चरणों की धूल कहाऊं!!
 
अर्थशास्त्री, कानून के ज्ञाता, भीमाबाई धर्मज्ञा माता, 
आधुनिक राष्ट्र के निर्माता, जिंदा तुमसे है मानवता।
 
तेरे लक्ष्यों पे चल-चल के, तेरा हिन्दुस्तान कहाऊं,
जय भीमा, जय भीमा, तेरे चरणों की धूल कहाऊं!!
 
संविधान के शिल्प विधाता, भारतरत्न विश्वविख्याता, 
बाबा तेरा नाम जब आता, सर मेरा ऊंचा उठ जाता।
 
हौसलों के पंख लगाकर, मैं भी तूफान कहाऊं,
जय भीमा, जय भीमा, तेरे चरणों की धूल कहाऊं!!
 
शिक्षित अधिकार दिलाता, नारी को नई दिशा दिखाता,
छुआछूत का भूत भगाता, मानव को वरदान दिलाता।
 
संस्कारों का राह पे चलकर, मैं भारत का मान कहाऊं,
जय भीमा, जय भीमा, तेरे चरणों की धूल कहाऊं!!