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Written By WD

84 महादेव : श्री करभेश्वर महादेव(73)

84 महादेव : श्री करभेश्वर महादेव(73) - Karbheshwar Mahadev
कई वर्ष पूर्व अयोध्या में एक राजा थे वीरकेतु। एक बार वे वन में शिकार करने के लिए गए। वहां उन्होंने कई जंगली जानवरों का शिकार किया। फिर उन्हें कोई पशु नजर नहीं आया। अचानक उन्हें एक करभ (ऊंट) नजर आया ओर उन्होंने उसे तीर मार दिया। वह ऊंट तीर लगने के बाद वहां से भागा। राजा वीरकेतु उसके पीछे भागे। कुछ देर बाद ही वह ऊंट गायब हो गया। राजा भटकते हुए मुनियों के आश्रम में पहुंच गए। ऋषियों ने राजा वीरकेतु से कहा राजन काफी वर्ष पूर्व राजा हुआ करते थे, जिनका नाम धर्मध्वज था। एक बार वे शिकार करने के लिए वन में गए वहां उन्होंने मृगचर्म पहने ब्राह्मण का उपहास उड़ाया।


इस पर ब्राह्मण ने राजा को श्राप दिया कि वह करभ योनि में चले जाएं। राजा ने दुखी होकर ब्राह्मण से विनती की तो ब्राह्मण ने कहा कि अयोध्या के राजा वीरकेतु के बाण से घायल होकर तुम महाकाल वन में स्थित शिवलिंग का दर्शन करना उससे तुम्हें उंट की योनि से मुक्ति मिलेगी और तुम शिवलोक को प्राप्त करोगे। राजन वह ऊंट महाकाल वन में गया है तुम भी वहां जाओ। उस शिवलिंग के दर्शन कर चक्रवर्ती सम्राट हो जाओगे। राजा तुरंत महाकाल वन आया। यहां उसने धर्मध्वज को एक विमान से शिवलोक जाते देखा। फिर शिवलिंग का पूजन कर चक्रवर्ती सम्राट हुआ। ऊंट के मुक्ति प्राप्त करने के कारण शिवलिंग करभेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुआ।

मान्यता है कि जो भी मनुष्य करभेश्वर महादेव के दर्शन करता है वह धनवान होता है, उसे कोई व्याधि नहीं होती है उसके कोई पितृ पुश योनी में हैं तो उन्हें मुक्ति मिलती है। अंतकाल में मनुष्य शिवलोक को प्राप्त करता है। यह मंदिर भैरवगढ़ में काल भैरव मंदिर के सामने है।