मंगलवार, 29 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. चिकित्सा पद्धतियाँ
Written By WD

हुपिंग कफ या कुकुर खाँसी

हुपिंग कफ या कुकुर खाँसी
डॉ. एस.के. सिन्हा
WDWD
इसका दूसरा नाम - पार्टुसिस है। साधारणत: 2 वर्ष के नीचे के बच्चों को ही यह बीमारी हुआ करती है।
अगर यह बीमारी एपिडेमिक हुई तो 8 वर्ष तक की उम्र तक भी आक्रमण कर सकती है।

यह बीमारी जीवन में सिर्फ एक बार होती है। हु‍पिंग कफ की तीन स्टेज या अवस्थाएँ हैं। -
1. कैटेरैल
2. कन्वसिव
3. क्रिटिकल

छाती की परीक्षा

हुपिंग कफ में ब्रोंकाइटिस के सभी साउण्ड मौजूद रहते हैं। इसके प्रधान उपसर्ग-ब्रोंकोनिमोनिया, निमोनिया, एम्फाईसीमा इत्यादि हैं।
खसरा, चेचक, स्कार्लेटिना (आरक्त ज्वर) आदि रोगों के उपसर्ग में भी हुपिंग कफ होना है। इस रोग की साधारणतया पहचान आसान होती है। लगातार खाँसी, मुखमंडल लाल हो जाना, श्वास तेज चलना, बेचैनी बढ़ जाना तथा छाती में स्टेथेस्कोप या कान लगाकर सुनने पर धड़-धड़ की आवाज सुनाई पड़ती है।
औषधि - लक्षणानुसार निम्न दवाएँ आरोग्यकारक होती हैं।
एम्ब्राग्रिसिया, अर्निला, बेलाडोना, कोरेलियम रुब्रम, क्यूपरम मैट, ड्रोसेरा, हायोसायमस, इमिकाक, पर्टुसिन, एन्टिम टार्ट, सल्फर इत्यादि।