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Written By Naidunia
Last Modified: झाबुआ , रविवार, 9 अक्टूबर 2011 (21:06 IST)

चुनौती का सामना करना पड़ रहा है डाक विभाग को

डाक
21वीं सदी में दस्तक देते ही हिन्दुस्तान में दूरसंचार क्रांति हुई। डाक सेवाओं के क्षेत्र में निजी कंपनियाँ भी मैदान में उतर गईं। परिवर्तन की यह गूँज मजबूती के साथ पिछड़े क्षेत्रों तक आई। मोटे तौर पर जिले में आज लगभग सभी कंपनियों के सभी प्रकार के करीब 1 लाख दूरभाष कार्यरत हैं। यह दूरभाष संवाद स्थापित करने के बहुत ही सुदृढ़ माध्यम बन चुके हैं। ऐसे में डाक सेवाएँ प्रभावित होना स्वाभाविक है। जिले में लगभग 9-10 कोरियर कंपनियों की शाखाएँ कार्यरत हैं और प्रतिदिन 1200-1500 डाक आ-जा रही है। ऐसी स्थिति में डाक विभाग को कड़ी प्रतिद्वंद्विता का सामना करना पड़ रहा है।


तेजी से ग्राफ गिरा

झाबुआ में 1 जनवरी 1973 को मुख्य डाकघर बना और उसके अधीन इन दिनों जिले में जगह-जगह 18 उप डाकघर भी है। पहले झाबुआ नगर में 5 डाकिए थे और औसतन हर रोज 4 हजार से अधिक सामान्य डाक एवं 700-800 रजिस्टर्ड डाक आती थी। पहले जहाँ दिन में दो बार डाक बँटती थी, वहीं अब केवल एक बार ही यह कार्य होता है। दूरसंचार क्रांति के पहले डाक सेवाओं का डंका बचता था। समय बदला व तेजी से डाक सेवाओं का ग्राफ गिरा। अब स्थिति यह है कि प्रतिदिन समान्य डाक 800-850 एवं रजिस्टर डाक 55-60 ही आ रही है। डाक भी केवल अब एक समय ही बँटने लगी है। गत 40 सालों में क्षेत्र की जनसंख्या में वृद्घि हुई है। सन्‌ 1961 में इस आदिवासी क्षेत्र की जनसंख्या 5 लाख 14 हजार थी जबकि वर्तमान में आबादी 15 लाख से अधिक हो चुकी है। झाबुआ नगर की आबादी भी लगभग 12-13 हजार से बढ़कर 40 हजार पर पहुँच चुकी है।


11 स्थानों पर डाक पेटियाँ

नगर में कुल 11 स्थानों पर डाक पेटियाँ हैं, परंतु मुख्य डाकघर, राजवाड़े एवं कलेक्टोरेट को छोड़ दें तो शेष स्थानों के बॉक्सों पर नहीं के बराबर डाक निकलती है। अधिकांश खाली ही मिलते हैं।


कोरियर सेवाओं ने पैर पसारे

नगर सहित जिले के प्रमुख स्थानों पर कोरियर सेवाएँ आरंभ हो चुकी हैं। वहीं कोरियर सेवाएँ सस्ती होने के साथ-साथ कम समय लेते हुए कार्य कर रही हैं। अधिकांश लोग कोरियर सेवाओं का ही उपयोग कर रहे हैं। जिस पत्र व आवेदन को डाक विभाग के माध्यम से भेजना अनिवार्य होता है, लोग उसे ही डाक द्वारा भेजते हैं। कोरियर व्यवसायी राकेश पाटीदार ने बताया कि उनके यहाँ वर्तमान में औसतन प्रतिदिन 700-800 डाक आती-जाती है।


ऑनलाइन भी

होते हैं कार्य

इन दिनों शासकीय सहित अधिकांश निजी कार्यालय भी कम्प्यूटरीकृत हो चुके हैं। संचार क्रांति चरम पर है। वर्तमान में शासकीय कार्यालयों में अधिकांश आवश्यक कार्य फैक्स एवं ऑन लाइन होने लगे हैं। यहाँ तक कि अब तो विभिन्ना परीक्षाओं के आवेदन, प्रवेश पत्र सहित अन्य कार्य ऑन लाइन हो रहे हैं। वहीं निजी कार्यालयों में भी इंटरनेट सेवाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। संवाद ई-मेल के जरिए हो रहा है। साथ कुछ लोग व्यक्तिगत स्तर पर भी संवाद आदान-प्रदान का कार्य ई-मेल, चैटिंग, मैसेज आदि के माध्यम से करने लगे हैं।


तार का चलन बंद

पहले तत्काल संदेश भेजने के लिए तार का उपयोग होता था और किसी के घर पर तार आते ही सभी सदस्य काँॅप उठते थे। सामान्य तौर पर तार में कोई अनहोनी बात ही होती थी। मोबाइल आने के बाद तार का चलन धीरे-धीरे कम होता गया और अब तो लगभग बंद-सा ही हो गया है। बहुत कम लोग अब तार करना पसंद करते हैं।


नवीन तार घर की माँग

झाबुआ नगर में सिटी पोस्ट ऑफिस हुआ करता था। इसे बंद कर दिया गया है। लंबे समय से इस डाक घर को गोपाल कॉलोनी में खोलने की माँग हो रही है। झाबुआ के मुख्य डाकघर में 12 कर्मचारी काम कर रहे हैं और भर्ती प्रक्रिया जारी है।


आज भी विश्वसनीय

शासकीय सेवक डॉ. प्रदीप संघवी का कहना है कि भले ही मोबाइल एवं कोरियर सेवा की व्यवसायिक चुनौती के कारण डाक सेवाओं का महत्व कम हुआ है, परंतु आज भी इस विभाग की विश्वसनीयता कायम है। आवश्यक महत्वपूर्ण शासकीय कागजात एवं पत्र व्यवहार आज भी इसी विभाग के माध्यम से किया जाता है। विद्यार्थी भी अपने आवेदन इत्यादि डाक विभाग की स्पीड पोस्ट से ही भेजते हैं।


समय की रफ्तार तेज

विद्यार्थी महिपालसिंह खंगारोत का कहना है कि आज तेजी का जमाना है। डाक विभाग का उपयोग करने पर सूचनाएँ काफी देरी से पहुँचती हैं, जबकि मोबाइल फोन एवं इंटरनेट से दुनिया में कहीं भी तुरंत संपर्क किया जा सकता है। समय की रफतार के साथ कदम-ताल करते हुए नवीन माध्यमों का उपयोग करना ही सभी लोग अधिक बेहतर समझते हैं। कोरियर सेवाएँ भी बेहतर ढंग से काम कर रही हैं। इन्हीं के माध्यम से लोग डाक भेजना अधिक पसंद करते हैं।


भाव मालूम पड़ जाते हैं

व्यवसायी मनोहरलाल नीमा कहते हैं कि मोबाइल के माध्यम से सूचनाओं का तत्काल आदान-प्रदान हो जाता है। व्यापार में भी मोबाइल के आने से लाभ हुआ है। तत्काल अन्य मंडियों के बारे में मोबाइल फोन से पता चल जाता है। अब लोग एक-दूसरे से संवाद भी मोबाइल फोन के माध्यम से कम पैसों में कर लेते हैं। पत्राचार में काफी विलंब होता है और देरी से सूचना मिलती है।


फर्क तो पड़ा है

पोस्ट मास्टर एएन शुक्ला का कहना है कि पहले की तुलना में काफी अंतर आ गया है और डाक की संख्या में कमी आई है। विभाग में स्टाफ की स्थिति पर्याप्त है और नई भर्तियाँ भी हो रही हैं। -निप्र