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Written By भाषा

आतंक का पर्याय बन गया था ओसामा बिन लादेन

आतंक का पर्याय बन गया था ओसामा बिन लादेन -
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सउदी अरब में एक अरबपति के घर जन्मे ओसामा बिन लादेन ने इस्लामी धर्म युद्ध को वैश्विक एजेंडे पर रखा और भयावह आतंकी हमलों की साजिश रचने के बाद वह घर घर में जाना पहचाना नाम बन गया था। सबसे लंबे समय तक उसकी खोज चली और अंतत: वह मारा गया।

लादेन खतरनाक आतंकवादी संगठन अल कायदा का प्रमुख और दुनिया का सर्वाधिक वांछित आतंकवादी था जो 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हमला करने के बाद आतंक का पर्याय बन गया। इस हमले में 3000 से अधिक लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हो गए थे।

यहूदियों के खिलाफ जेहाद के लिए आह्‍वान करने तथा अमेरिकी नागरिकों और उनके सहयोगियों की हत्या को मुस्लिमों का दायित्व बताकर 1998 में इस बारे में फतवा जारी करने वाले बिन लादेन का जन्म 1957 में हुआ था। हालांकि इसकी सही तारीख अज्ञात है।

न्यूयॉर्क में 11 सितंबर को किए गए आत्मघाती हमले के जिम्मेदार बिन लादेन के पिता मोहम्मद बिन लादेन एक निर्माण उद्यमी थे। ओसामा उनके 52 बच्चों में 17वां था।

यमन के रहने वाले मोहम्मद बिन लादेन बचपन में ही सउदी अरब आकर बस गए थे। सउदी अरब की 80 प्रतिशत सड़कों का निर्माण उन्होंने ही किया था। बिन लादेन की कुछ मुस्लिमों ने हमेशा तारीफ की क्योंकि वह अमेरिका तथा अरब सरकारों के खिलाफ जेहाद के उसके विचारों के समर्थक थे। बिन लादेन अमेरिका और अरब सरकारों को ‘काफिर’ मानता था।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने लादेन को ‘जिंदा या मुर्दा’ पकड़ने का वादा किया था और अल कायदा नेटवर्क के खिलाफ उनके ये दो शब्द ‘आतंकवाद के खिलाफ युद्ध’ बेहद भारी पड़े। अमेरिका में हुए 11 सितंबर के हमले के बाद छिपने के लिए मजबूर हुआ लादेन वैश्विक जेहादी अभियान के लिए एक प्रेरणा बन गया। 11 सितंबर के हमले में 3000 से ज्यादा लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे।

एक पाकिस्तानी पत्रकार से साक्षात्कार के दौरान लादेन ने कहा था कि मुझे मारा जा सकता है लेकिन मेरे अभियान को नहीं। न्यूयॉर्क पर किए गए हमले से पहले विश्व भर के मुस्लिम कट्टरपंथियों में जुनून जगाने वाले लादेन का नाम एफबीआई की सूची में पहले से ही दस सर्वाधिक वांछित भगोड़ों में शामिल था।

अफगानिस्तान में एक प्रशिक्षण शिविर को अमेरिकी क्रूज मिसाइल द्वारा नष्ट किए जाने के ठीक कुछ घंटो पहले लादेन ने उसे छोड़ दिया था। उसके द्वारा किए गए कई कामों के कारण अमेरिका ने अफगानिस्तान में युद्ध और फिर इराक तथा कट्टरपंथी इस्लामिक समर्थकों के खिलाफ संघर्ष का नेतृत्व किया।

लादेन के अल कायदा संगठन को अफ्रीका में अमेरिकी दूतावासों पर किए गए बम हमलों का दोषी भी पाया गया। इस हमले में 231 लोग मारे गए थे। संगठन वर्ष 2000 में यमन में यूएसएस कोल हमले के लिए जिम्मेदार था जिसमें 17 अमेरिकी नाविक मारे गए थे।

वर्ष 2001 में 11 सितंबर से अल कायदा के अधिकतर शीर्ष नेता या तो मारे गए या पकड़े गए। यूरोप और एशिया के खुफिया अधिकारियों का कहना है कि लादेन के कारण अब वे स्थानीय कट्टरपंथी समूहों की ओर से बड़ा खतरा देखते हैं।

लादेन अपने सभी भाई बहनों में सबसे ज्यादा धार्मिक था, लेकिन 1970 में उसके कदम इस्लामी आतंकवाद की ओर बढ़ गए जब वह उस समय सउदी अरब में जारी कट्टरपंथी आंदोलन से जुड़ गया। वह इस्लामी साहित्य का बहुत अधिक और गहराई से अध्ययन करता था और पवित्र शहर मक्का में हर हफ्ते उपदेश सुनता था।

लादेन अफगानिस्तान में 1980 में सोवियत सेना के खिलाफ अभियान में शामिल हुआ और एक साहसी तथा कुशल कमांडर के रूप में लोकप्रियता हासिल की।

उसी समय लादेन के हित रुझान अमेरिका से जुड़ गये जो तत्कालीन सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध में धन और सेना के जरिए सहायता कर रहा था। सउदी अरब में घर लौटने पर लादेन की काफी तारीफ हुई और मस्जिदों और घरों में उपदेश देने के लिए उसे बुलाया जाना लगा। लादेन की जिंदगी में एक अहम मोड़ तब आया जब 1990 में अमेरिकी सेना इराक को कुवैत से बाहर निकालने के लिए सउदी सरजमीं पर उतरी।

लादेन ने गैर मुस्लिम सेना को उस सरजमीं पर उतरने की इजाजत देने से सरकार को रोकने की कोशिश की जिस पर पैगंबर मोहम्मद साहब ने इस्लाम की शुरुआत की थी। लेकिन सउदी नेतृत्व उसके तेल स्रोतों की सुरक्षा के लिए अमेरिका के साथ था। जब लादेन ने रियाद की वॉशिंगटन के साथ गहरे संबंधों की आलोचना जारी रखी तो उसकी सउदी नागरिकता खत्म कर दी गई। इसके साथ ही लादेन और उसका अल कायदा नेटवर्क वॉशिंगटन का सबसे बड़ा दुश्मन बनने के लिए तैयार हो गया।

काबुल में सितंबर 1996 में तालिबान के नियंत्रण के बाद लादेन को शरण दी गई। तालिबानी नेता मुल्ला मोहम्मद उमर ने लादेन को तोरा बोरा में उसके मुख्यालय से दक्षिणी कंधार बुलाया और अंतत: तालिबान द्वारा बड़ी और लगातार वित्तीय मदद से अल कायदा सरगना धार्मिक मिलिशिया पर निर्भर हो गया।

अफगानिस्तान में वह इबादत के लिए सुबह जल्दी उठता, फिर हल्का नाश्ता करता। लादेन वैश्विक घटनाक्रम पर भी ध्यान देता। वह अपने पंसदीदा शौक घुड़सवारी के लिए भी जाता। अफगानिस्तान में लादेन अपनी चार पत्नियों के साथ रहता था। इस्लाम में अधिकतम चार पत्नियों की इजाजत दी गई है। उसके बच्चों की संभावित संख्या 23 बताई जाती है।

अफगानिस्तान लौटने के बाद अल कायदा का पहला बड़ा हमला सात अगस्त 1998 को केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों पर किया गया। 9-11 के हमले के बाद लादेन पर अमेरिकी निशाना तेज हो गया।

तालिबान पर अमेरिकी हमले के बाद लादेन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के दुर्गम पहाड़ों में भाग गया। वह वीडियो और ऑडियो टेपों के जरिए पश्चिम में और हमलों की धमकी देता रहता।

सात अक्टूबर 2001 में अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान पर शुरू किए गए हमले के कुछ घंटो बाद ही अरब सेटेलाइट टेलीविजन स्टेशन ने एक वीडियो टेप जारी किया, जिसमें अमेरिका को धमकी दी गई थी।

पिछले एक दशक में लादेन और अयमान अल जवाहिरी नियमित रूप से ऑडियो और वीडियो टेपों के जरिए धमकियां देते रहे और हालिया घटनाक्रम पर टिप्पणी करते रहे।(भाषा)