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Written By WD

महिलाएं चुप न रहे तो क्या करें

वेबदुनिया के सवाल, आपके जवाब

International Women's day | महिलाएं चुप न रहे तो क्या करें
महिला दिवस 2014 को मनाए जाने के पूर्व वेबदुनिया टीम ने हर आम और खास महिला से भारत में नारी सुरक्षा को लेकर कुछ सवाल किए। हमें मेल द्वारा इन सवालों के सैकड़ों की संख्या में जवाब मिल रहे हैं। हमारी कोशिश है कि अधिकांश विचारों को स्थान मिल सके। प्रस्तुत हैं वेबदुनिया के सवाल और उन पर मिली मिश्रित प्रतिक्रियाएं....

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पत्रकार और समाजसेविका माधवी श्री के विचार

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वेबदुनिया : भारतीय महिलाओं का सही मायनों में सशक्तिकरण आप किसे मानते हैं?
-आर्थिक स्वतंत्रता
-दैहिक स्वतंत्रता
-निर्णय लेने की स्वतंत्रता

मेरे विचार से आर्थिक स्वतंत्रता, दैहिक स्वतंत्रता ,निर्णय लेने की स्वतंत्रता- यह तीनों मिलकर ही महिलाओं को समुचित स्वतंत्रता दे सकते हैं। किसी एक के बिना दूसरे का होना बेमानी है। हमारे समाज में बहुत सारे उदाहरण मौजूद जहां महिलाओं को एक या दो प्रकार की स्वतंत्रता तो मिल जाती है पर सम्पूर्ण स्वतंत्रता उन्हें नहीं मिलती। कहीं न कहीं उसे घर या बाहर के पुरुष पर निर्भर रहना पड़ता है अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों के बारे में।

वेबदुनिया : घरेलू हिंसा के लिए मुख्य रूप से महिलाओं की खामोशी या सहनशक्ति जिम्मेदार है?


महिलाओं को बचपन से एक ही काम सिखाया जाता है, चुप रहो। कुछ भी हो जाए, लड़कियों को चुप रहने के अलावा कुछ सिखाया ही नहीं जाता है। धीरे-धीरे बचपन से ये उनके जीवन का एक अटूट हिस्सा बन जाता है। वे खुद ही भूल जाती है उनके भी एक अदद जबान है जिनका वो इस्तेमाल कर सकती है। अपना तो छोड़ो वो दूसरी लड़कियो को भी चुप रहने की शिक्षा देने लग जाती है। यही हाल समाज के हर कोने से निकलता है। महिलाओं/लड़कियों को चुप रहना ही सिखाया जाता है। बोलने वाली औरतें किसी को भी पसंद नहीं आती चाहे वो घर हो या बाहर। हालत यह होती है कि घर की इज्ज़त की जिम्मेदारी तो लड़कियों के सर पर होती है और धन-संपत्ति की जिम्मेदारी घर के लड़के पर होती है।

लड़कियां इस झूठे भ्रम में पड़ जाती है कि सचमुच वह घर की इज्ज़त है पर ऐसा उस हद तक ही सही है, जब तक वह घर वालो के कहे अनुसार चल रही है, जहां उसने अपने मन से उड़ना सोचा वहीं उसने अपने लिए मुसीबत बुला ली।

चाहे हम कितना गा-बजा ले, जितना सरकारी अमला चीख-चिल्लाए पर वक़्त पड़ने पर कितनी महिलाओं की गुहार सुनी गई? कोई भी ऑफिशियल रिकॉर्ड उठा कर देख लें सारी पीड़‍िताओं के शिकायतों का अम्बार वहीं का वहीं खड़ा चीख रहा है। अब ऐसे हालत में महिलाएं चुप न रहे तो क्या करें?

अभिव्यक्ति संपादिस्वरूमेै, इसमेसभसवालोजवाशामिनहीै- वेबदुनियफीचडेस्क