बेटी की सुसाइड से पहले माता-पिता जाने लें ये 8 सबक
कई कोशिशों के बावजूद महिलाओं और विवाहिताओं की आत्महत्याओं का ग्राफ कम नहीं हो रहा है। हाल ही में अहमदाबाद की आयशा की खुदखुशी के बाद एक बार फिर से विवाहित युवतियों की आत्महत्या को लेकर देशभर में बहस छिड़ गई है। घटना होने के बाद कानून अपना काम करता है, लेकिन अगर बेटियों के माता पिता इन आत्महत्याओं से पहले से ही सबक लें और इसे रोकने की कोशिश करे तो शायद परिणाम बेहतर हो सकते हैं
दरअसल, कई मामलों में माता-पिता अपनी बेटियों की शादी करने के बाद सिर का बोझ उतर जाने वाले अहसास में होते हैं, लेकिन अगर वे थोड़ा सचेत हो जाएं तो उनकी बेटी के साथ होने वाली अनहोनी टल सकती है।
जानते हैं क्या हैं वो 8 सबक जो हर माता-पिता को अपनी बेटी की आत्महत्या से पहले सीख लेना चाहिए।
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विदाई से पहले परिजनों को चाहिए कि वो अपनी बेटी को पूरा संबंल दें, उन्हें अपने खिलाफ होने वाली हिंसा के प्रति जागरुक करें। गलत होने पर आवाज उठाने की ताकत दें।
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शादी कर के ससुराल गई बेटी के लगातार संपर्क में रहें। उसे अचानक से अकेला न छोड़ दें।
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बेटी से फोन पर समय-समय पर बात करते रहें, उसके सोशल मीडिया पोस्ट और व्हाट्सएप स्टेटस आदि को देखकर उसके मूड और मनोस्थिति का अंदाजा लगाते रहें।
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कई बार बेटियां अपने परिजनों को अपनी तकलीफें नहीं बताती हैं, उन्हें लगता है कि माता-पिता चिंता करेंगे। ऐसे में उसे ताकत दें और खुद को बेटी के सामने मजबूत साबित करें कि अगर उसके साथ कुछ गलत होगा तो वे हमेशा के लिए उसके साथ हैं।
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डर, घर की बदनामी और शादी टूटने की आशंका से अगर बेटी अपनी परेशानी माता-पिता को न बताए तो उसके सबसे करीबी मित्रों, रिश्तेदारों, कजिन भाई-बहन आदि के संपर्क में रहकर उसकी मनोस्थिति की जानकारी लें।
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अगर जरा भी आशंका हो कि बेटी किसी तकलीफ में हैं, लेकिन वो बता नहीं रही है तो तुरंत उसके ससुराल जाए, उसके सास-ससुर और पति आदि से पूरी विनम्रता, लेकिन पूरे आत्मविश्वास और सलीके से और बगैर बेटी के ससुराल वालों को नीचा दिखाएं अपनी बात रखें, उसकी सुरक्षा को सुनिश्चित करें, इससे बेटी को बल मिलेगा।
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अगर बेटी अपने ससुराल के बारे में किसी तकलीफ की जानकारी दे रही हैं तो उसके फोन की रिकॉर्डिंग और चैट आदि के स्क्रीनशॉट आदि संभालकर रखें।
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कुल मिलाकर अपनी बेटी को यह महसूस कराएं कि उसके परिजन उसके जीवन को लेकर बेहद सजग और मजबूत हैं और हर स्थिति में निपटने के लिए तैयार हैं। हालांकि इन सब के दौरान यह भी ध्यान रखें कि उनके किसी अतिरेक या जबरन हस्तक्षेप के चलते बेटी के घर में बेवजह विवाद न हो, या उन्हीं की वजह से बेटी की तकलीफें न बढ़ें।