हत्याकांड में भारतीय पुीिलस सेवा से बर्खास्त वरिष्ठ अधिकारी रवि कांत शर्मा को बरी करने के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका पर नोटिस जारी किया है।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति सुश्री रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट के गत वर्ष 12 अक्तूबर के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद रवि कांत शर्मा से जवाब तलब किया।
इससे पहले, अतिरिक्त सालिसीटर जनरल हरेन रावल ने न्यायालय में दलील दी कि हाईकोर्ट ने रवि कांत शर्मा को बरी करने का निर्णय करते वक्त इस मामले में महत्वपूर्ण टेलीफोन रिकार्ड और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है।
राजधानी के एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र में कार्यरत शिवानी भटनागर की 23 जनवरी, 1999 को पूर्वी दिल्ली में स्थित उसके फ्लैट में ही हत्या कर दी गई थी।
इस सनसनीखेज हत्याकांड मे सत्र अदालत ने 24 मार्च, 2008 को रवि कांत शर्मा सहित चार अभियुक्तों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने गत वर्ष 12 अक्तूबर को फैसले में सिर्फ एक अभियुक्त प्रदीप शर्मा की सजा बरकरार रखते हुए शेष तीनों अभियुक्तों रवि कांत शर्मा, श्रीभगवान और सत्य प्रकाश को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था।
हाईकोर्ट का मत था कि इस्तगासा इस हत्याकांड में रवि कांत शर्मा की भूमिका सिद्घ करने में विफल रहा है। न्यायालय ने कहा था कि शिवानी भटनागर की हत्या का मकसद स्पष्ट नहीं है। ऐसी स्थिति में यह भी सवाल उठता है कि क्या प्रदीप शर्मा ने अकेले ही इस वारदात को अंजाम दिया या फिर उसने पुलिस अधिकारी रवि कांत शर्मा और अन्य अभियुक्तों के इशारे पर शिवानी की हत्या की।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के बहुचर्चित शिवानी