Ranjish Hi Sahi Review रंजिश ही सही में सत्तर के दशक का सुस्ती भरा मेलोड्रामा
Ranjish Hi Sahi Review रंजिश ही सही नामक वेबसीरिज हाल ही मे वूट सिलेक्ट पर स्ट्रीम हुई है जिसमें ताहिर राज भसीन, अमला पॉल और अमृता पुरी लीड रोल में हैं। फिल्मकार महेश भट्ट अपनी जिंदगी के हिस्सों को अपनी फिल्मों के जरिये दिखाते रहे हैं। अर्थ और जख्म उनकी दो खूबसूरत फिल्में रहीं जिनमें उन्होंने बेदर्दी के साथ अपने आपको पेश किया है। इन्हीं दो फिल्मों और कुछ किस्सों को जोड़ कर वेबसीरिज 'रंजिश ही सही' (Ranjish Hi Sahi) तैयार की गई है। इसके क्रिएटर के रूप में महेश भट्ट का नाम है जिसको पुष्पदीप भारद्वाज ने लिखा और निर्देशित किया है।
आठ भाग वाली इस वेबसीरिज (Ranjish Hi Sahi) में महेश भट्ट के शुरुआती संघर्ष, विवाह के बाद होने वाले अफेयर और फिल्म उद्योग के समीकरणों को दर्शाया गया है। महेश ने संभवत: यह सीरिज (Ranjish Hi Sahi) नई पीढ़ी के लिए बनाई है जो उनकी अर्थ और जख्म जैसी फिल्मों से अंजान है।
रंजिश ही सही (Ranjish Hi Sahi) में एक जुनूनी हीरोइन है जो सत्तर और अस्सी के दशक की लोकप्रिय हीरोइन परवीन बाबी पर आधारित है। एक निर्देशक है जो पुणे के आश्रम से भाग जाता है। सभी जानते हैं कि यह चरित्र महेश भट्ट पर आधारित है जो एक जमाने में ओशो के चेले बन गए थे।
निर्देशक की 3 फिल्में फ्लॉप हो गई हैं जबकि हीरोइन सुपरस्टार है। दोनों साथ में फिल्म करते हैं और नजदीक आ जाते हैं। बात निर्देशक के घर तक पहुंच जाती है। वह हीरोइन के साथ रिश्ता तोड़ना चाहता है, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। इसके साथ कुछ साइड में चलने वाली कहानियां भी हैं। सत्तर के दशक का बॉलीवुड, पत्रकार और निर्देशक की मां का अतीत वाला ट्रैक को दर्शाया गया है।
सीरिज (Ranjish Hi Sahi) के साथ दिक्कत यह है कि इसे बहुत खींचा गया है। आठ एपिसोड जितना कंटेंट नहीं था इसलिए बीच-बीच में कई झोल आते हैं जब कथानक में सुस्ती सी आ जाती है और यह सीरिज देखना थकाऊ हो जाता है। बेहतर होता ज्यादा एपिसोड का लालच नहीं किया जाता।
सीरिज में कुछ अच्छे और इमोशनल दृश्य भी हैं, लेकिन इनके बीच कई पकाऊ दृश्यों को भी झेलना पड़ता है। जो बहाव होना चाहिए वो इसमें नहीं है।
निर्देशक के रूप में पुष्पराज भारद्वाज ने सत्तर के दशक को दिखाने के लिए काफी मेहनत की है। उस दौर की ड्रेसेस, हेअरस्टाइल से लेकर सामान तक दृश्यों में नजर आते हैं। गानों के जरिये भी कहानी को आगे बढ़ाया गया है और बैकग्राउंड म्यूजिक भी उम्दा है। प्रस्तुतिकरण में ठहराव जरूरत से ज्यादा है और इस पर पुष्पराज को ध्यान देना चाहिए था। प्रेम कहानी अधपकी सी लगती है और इसका दोष बतौर लेखक पुष्पराज के सिर ही आता है।
एक्टर्स ने अपना पूरा जोर लगाया है। मर्दानी में विलेन का रोल बखूबी निभाने वाले ताहिर राज भसीन को अब अच्छे मौके मिलने लगे हैं। हाल ही में 83 मूवी में उन्होंने सुनील गावस्कर का रोल अदा किया था। यहां पर उन्हें लीड रोल मिला है और उन्होंने इस मौके का पूरा फायदा उठाया है। अमला पॉल का काम सबसे बढ़िया है। 70 के दशक की एक्ट्रेस के नखरे, पागलपन, गुस्से और स्टारडम के लटको-झटकों को उन्होंने सलीके से पेश किया है। अमृता पुरी ने कई दृश्यों में अपनी छाप छोड़ी है। ज़रीना वहाब ने भी असर छोड़ा है।
आमतौर पर क्राइम वाली वेबसीरिज ज्यादा पसंद की जाती है जिनकी रफ्तार बहुत तेज होती है। ऐसे में 'रंजिश ही सही' (Ranjish Hi Sahi) की धीमी रफ्तार के साथ तालमेल बैठाना मुश्किल होता है। कुछ नया भी नजर नहीं आता। महेश भट्ट और परवीन बाबी की लव स्टोरी में आपकी रूचि हो तो इसे देखा जा सकता है।