Internet के दौर में अब Google भी 'गुरु महाराज' हो गए हैं, तब गुरु से ज्ञान लेने की क्या जरूरत?
आजकल इंटरनेट की दुनिया है। गूगल, फेसबुक आदि कई प्लेटफॉर्म हैं। अब व्यक्ति एक क्लिक पर वह सब कुछ जान सकता है, जो वह जानना चाहता है। अब तो गूगल भी 'गुरु महाराज' हो गए हैं, तो ऐसे में गुरु-शिष्य की परंपरा के क्या मायने रह जाते हैं?
इंटरनेट पर इन्फॉर्मेशन बहुत सारा है। आजकल इसको बोलते हैं एज ऑफ इन्फॉर्मेशन। एक था एज ऑफ एग्रीकल्चर, जब विश्व कृषिप्रधान था और वह जमीन पर आधारित था तो जमीन के लिए युद्ध होते थे। उसके बाद फिर आया एज ऑफ मैन्युफैक्चर जिसमें उद्योग के लिए फैक्टरी सेटअप होने लगी तो रिसोर्सेज के लिए युद्ध होने लगे।
इंग्लैंड ने विश्व पर कब्जा किया रिसोर्सेज के लिए और फिर उस समय की बात थी जिसके पास बेटर मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस हैं तो उसका प्रभुत्व हो गया विश्व में। इसके पश्चात आया एज ऑफ मार्केटिंग कि भैया इंडस्ट्रियल प्रोसेसिंग। अब तमाम देशों के पास हो गए हैं तो जिसका मार्केटिंग में ज्यादा एक्सपर्टीज है, उसका प्रभाव पड़ने लगा। अब वो मार्केटिंग चैनल भी सारे के सारे क्लाग हो गए, तो आया एज ऑफ इन्फॉर्मेशन।
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