Rahul Gandhi: राहुल गांधी के सरकारी बंगले पर संकट, वायनाड सीट भी रिक्त घोषित
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत द्वारा मानहानि के मामले में 2 साल की सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया। इसके बाद राहुल गांधी ने कहा कि वह भारत की आवाज के लिए लड़ रहे हैं और हर कीमत चुकाने को तैयार हैं। इस बीच, वायनाड सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया है। ऐसे में जल्द ही वहां उपचुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है। हालांकि इस पूरे मामले में राहुल गांधी को विपक्ष का साथ मिला है। दिल्ली के मुख्यमंत्री से लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राहुल की सदस्यता खत्म करने का विरोध किया है। यह भी कहा जा रहा है कि यदि जल्द ही अदालत से राहुल के पक्ष में फैसला नहीं आता तो उन्हें सरकारी बंगले से भी हाथ धोना पड़ सकता है।
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इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बच पाएगी? ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि राहुल गांधी को जिस मानहानि मामले में सूरत कोर्ट से सजा सुनाई गई है उसके खिलाफ वे हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में अपील कर सकते हैं। यदि सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को मानहानि केस में राहत मिलती है तो शीर्ष अदालत का निर्णय लोकसभा अध्यक्ष के लिए बाध्यकारी होगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह कहते हैं कि राहुल को चुनाव आयोग के हरकत में आने और केरल की वायनाड सीट पर लोकसभा उपचुनाव की घोषणा करने से पहले अपनी लोकसभा सदस्यता को बहाल किए जाने के लिए दोषसिद्धि एवं सजा के निलंबन के लिए तेजी से ऊपरी अदालत का रुख करना होगा। अगर दोषसिद्धि पर रोक लगती है, तो राहुल की सदस्यता फिर से बहाल की जा सकती है।
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं संवैधानिक कानून विशेषज्ञ राकेश द्विवेदी कहते हैं कि अयोग्यता अवैध है, क्योंकि राहुल गांधी को अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए 30 दिन का समय दिया गया था। हालांकि जब उन्हें ऊपरी अदालत से फैसले के अमल पर रोक मिल जाएगी, तब अयोग्यता स्थगित हो जाएगी।
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी नेताओं की संसद और विधानसभा की सदस्यता खत्म होती रही है। इससे पहले चारा घोटाले में दोषी ठहराए गए लालू की संसद सदस्यता खत्म हो गई थी। इनके अलावा राकांपा सांसद पीपी मोहम्मद फैजल और विधायक- आजम खान, अनिल कुमार सहनी, विक्रम सिंह सैनी, प्रदीप कुमार चौधरी, कुलदीप सिंह सेंगर, अब्दुल्ला आजम खान, अनंत सिंह को भी सदन की सदस्यता से अयोग्य ठहराया गया था।