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Last Modified: कानपुर , रविवार, 16 नवंबर 2025 (12:30 IST)

LinkedIn की नौकरी, थाईलैंड का झांसा और म्यांमार का कैदखाना, कानपुर युवक की दहला देने वाली दास्तान

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काकादेव थाना क्षेत्र के नई बस्ती निवासी ओसामा खान अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह की ठगी का ऐसा शिकार बना कि थाईलैंड की नौकरी के सपने देखते-देखते म्यांमार के कैदखाने में पहुंच गया। ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग कर चुके ओसामा ने लिंकडइन पर रोजगार के लिए प्रोफाइल बनाया था, जहां प्लेसमेंट एजेंट बनकर ठगों ने उससे संपर्क किया और ऊंचे पैकेज पर विदेशी नौकरी का लालच दिया।
 
ठगों ने 15 जून को उसे दिल्ली बुलाया, जहां से चेन्नई और फिर बैंकॉक भेजा गया। बैंकॉक पहुंचते ही उसे बहाने से म्यांमार ले जाया गया, जहां गिरोह ने उसके पास मौजूद 33 हजार रुपए छीनकर अंधेरे कमरे में कैद कर दिया। कमरे में पहले से करीब 8 युवक और मिले, जिन्हें भी इसी तरह ठगा गया था।

ओसामा ने बताया कि उससे रोजाना 18 घंटे तक अवैध ऑनलाइन काम करवाया जाता था। जरा-सी देरी पर मारपीट की जाती थी। उसे चैट हिस्ट्री मैनेज कराना, लोगों को ऑनलाइन ठगी में फंसाने जैसे गैरकानूनी काम करने को मजबूर किया जाता था। चार माह की कैद के दौरान गिरोह ने उसे डॉलर में भुगतान किया, जिससे वह करीब डेढ़ लाख रुपए घर भेज पाया, लेकिन आरोपी लगातार 5000 डॉलर (करीब 4.50 लाख रुपए) की मांग करते रहे।
 
22 अक्टूबर को ओसामा किसी तरह म्यांमार की वास्तविक सेना के संपर्क में आया। सेना ने उसकी मदद करते हुए उसे सुरक्षित नोएडा पहुंचाया। आवश्यक प्रक्रियाओं के बाद 6 नवंबर को वह अपने घर कानपुर लौटा।
 
 ओसामा के पिता, जो इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग से सेवानिवृत्त हैं, पूरे समय बेटे की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहे। पीड़ित परिवार ने घटना की शिकायत संबंधित एजेंसियों को सौंप दी है और सख्त कार्रवाई की मांग की है।  Edited by : Sudhir Sharma
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