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Last Updated : बुधवार, 21 अगस्त 2024 (19:11 IST)

UP में कैसा रहा भारत बंद का असर, मुख्य जिलों की जमीनी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का वाल्मीकि समाज ने स्वागत किया

UP में कैसा रहा भारत बंद का असर, मुख्य जिलों की जमीनी रिपोर्ट - How was the impact of Bharat Bandh in UP
Bharat Bandh in UP : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के द्वारा आरक्षण के उप वर्गीकरण के खिलाफ आज बुधवार को भारत बंद (Bharat Bandh) की कॉल का उत्तरप्रदेश में कोई विशेष असर दिखाई नहीं दिया है। बहुजन समाज पार्टी, भीम आर्मी पार्टी के साथ अन्य दलों से जुड़े नेताओं ने सड़कों पर उतरकर हाथ में झंडे-बैनर लेकर नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन करते हुए जिला मुख्यालयों पर ज्ञापन दिया है। इस दौरान बाजार, स्कूल और अन्य संस्थान खुले रहे। यूपी के सभी जिलों में सुरक्षा के मद्देनजर पर्याप्त सुरक्षा बल सड़कों पर मौजूद रहा।
 
भारत बंद बेअसर नजर आया : एनसीआर में बहुजन समाज पार्टी और आजाद समाज पार्टी का भारत बंद बेअसर नजर आया। नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम में उम्मीद थी कि बड़ी संख्या में सड़कों पर विरोध दर्ज कराने के लिए स्थानीय कार्यकर्ता उतरेंगे, लेकिन उम्मीद से कम भीड़ नजर आई। नोएडा-गाजियाबाद के प्रमुख बाजार सामान्य दिनों की भांति खुले रहे। नोएडा के अट्टा मार्केट, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, कॉलेज और ऑफिस सभी खुले रहे हैं।

 
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध : मेरठ, मुजफ्फरनगर, हापुड़, बुलंदशहर, मुरादाबाद, बिजनौर और शामली सहित अन्य जिलों में भी दलित समाज के वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का आजाद समाज पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने विरोध किया। बुलंदशहर में बड़ी संख्या में बसपा कार्यकर्ता काला आम चौराहे पर पहुंचे। हजारों की संख्या में जुटे कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी करते हुए कहा कि जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट अपने निर्णय को वापस ले अन्यथा आंदोलन आगे भी चलता रहेगा।
 
वाल्मीकि समाज ने स्वागत किया : मेरठ में जहां एक तरफ बसपा और आजाद समाज पार्टी के लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले में आरक्षण को कैटेगरी में बांटने का विरोध कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ मेरठ में वाल्मीकि समाज के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए केन्द्र और यूपी सरकार की प्रशंसा की है। वाल्मीकि समाज ने भारत बंद के विरोध में प्रदर्शन किया।

 
आरक्षण में ग्रुप कैटेगरी का समर्थन करते हुए प्रदर्शनकारियों का कहना है कि आजादी के 78 साल हो चुके हैं, तब से लेकर अब तक आरक्षण का फायदा एससी-एसटी समाज के लोगों को मिलता रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अब संज्ञान लिया है। कोर्ट के इस फैसले पर मोदी और योगी सरकार का कहना है कि नई आरक्षण नीति लागू करनी चाहिए जिससे असली हकदारों को आरक्षण का लाभ मिल सके। जिन्हें पहले आरक्षण का लाभ मिल चुका है, उन्हें अब इस फायदे का लाभ खुद छोड़ देना चाहिए।
 
आगरा में बहुजन और दलित समाज के प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट अपने निर्णय को वापस लें। कोर्ट और सरकार का यह फैसला आपस में भाइयों को लड़ाने का काम कर रहा है। आरक्षण हमारा अधिकार है, इसे हम छीनने नहीं देंगे। किसी भी हालत में चाहे इसके लिए कितनी भी लड़ाई लड़नी पड़े।

 
भारत बंद के आह्वान पर बसपा, आसपा पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अंबेडकर पार्क के पास रास्ता जाम किया। काफी तादाद में कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन जारी रहा। सहारनपुर में भी एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसले के विरोध में 'भारत बंद' का आह्वान था, लेकिन सामान्य दिनों की तरह जनजीवन चला।
 
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति व अन्य संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण पर दिए गए निर्णय को वापस लिए जाने के लिए सड़कों पर उतरकर विरोध दर्ज कराया। सहारनपुर घंटाघर व हकीकत नगर धरना स्थल पर हजारों की संख्या में लोग एकत्रित हुए। पैदल मार्च करते हुए कलेक्टोरेट में डीएम को ज्ञापन दिया। हालांकि संवेदनशील क्षेत्रों में कुछ जगहों पर स्कूल भी बंद किए गए हैं।
 
कासगंज जिले में आंदोलनकारियों का कहना है कि आरक्षण में जो-जो अप वर्गीकरण किया गया है, उसे संविधान की नवमी सूची में डालना चाहिए। राष्ट्रपति इस मामले में संज्ञान लें और प्रधानमंत्री इसे लागू करने के लिए पहल करें। दलित और वंचित समुदाय हमेशा से आरक्षण के माध्यम से समाज के ऊपरी पायदान पर आने का प्रयास करता है, ऐसे में यह उचित होगा की 9वीं सूची में डालकर दलित वंचित समुदाय का कल्याण होगा।
 
भारत बंद का असर यूपी के जिलों कुछ खास नजर नहीं आया और किसी प्रकार की अप्रिय घटना की खबर नहीं आई। हालांकि सभी शहरों में पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था। शहरों में बंद का कोई असर न होने से व्यापारियों और आम जनता ने राहत की सांस ली।

Edited by: Ravindra Gupta