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किससे जाकर बोले मेरी गजल
जैसा मौका देखे वैसा हो ले मेरी गजलवो बातें जो मैं नहीं बोलूं बोले मेरी गजलचांद-सितारे अर्श1 पे जाके जब चाहें ले आएंऐसे अदीबोशायर2 से क्यूं बोले मेरी गजलआज खुशी का मोती शायद इसको भी मिल जाएगम की रेत को साहिल-साहिल रौले मेरी गजलशोर-शराबे से घबराकर जब मैं राहत चाहूंमेरे कानों में रस आकर घोले मेरी गजलदिल से इसको चाहने वाला जब भी कभी मिल जाएमन ही मन में झूमे गाए, डोले मेरी गजलजिसको देखो इससे आकर अपना दुख कह जाए अपने दुख को किससे जाकर बोले मेरी गजलइतनी हिम्मत इतनी ताकत दी है खुदा ने 'अजीज'दुनिया भर के भेद सभी पर खोले मेरी गजल1.
आकाश 2. लेखक-कवि-
अजीज अंसारी