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Written By संदीप श्रीवास्तव

सियासी दलों के नेताओं के बयानों की बाढ़

सियासी दलों के नेताओं के बयानों की बाढ़ - Uttar Pradesh assembly election 2017, controversial statements
फैजाबाद (अयोध्या)। उत्तरप्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी दलों के नेताओं के बयानों की बाढ़-सी आ गई है, वहीं नेताओं के बयान के बाद उस बयान पर होने वाली प्रतिक्रिया को लेकर भी कई बार ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं जिसके कारण बयान देने वाले नेता को भी असहज स्थिति का सामना करना पड़ जाता है।
प्रदेश में हिन्दू और अल्पसंख्यक मतों के ध्रुवीकरण को लेकर विभिन्न पार्टियों के नेताओं के रोज नए-नए बयान आ रहे हैं। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक बयान चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
 
गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश के फतेहपुर में रविवार को रैली को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा था कि गांव में कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए। रमजान में बिजली मिलती है तो दिवाली में भी मिलनी चाहिए। होली में बिजली मिलती है तो ईद पर भी मिलनी चाहिए। कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। धर्म और जाति के आधार पर बिलकुल नहीं। 
 
इस बयान को लेकर विपक्ष के नताओं ने पीएम मोदी को कठघरे में लेने की कोशिश की है वहीं पीएम मोदी के बयान का समर्थन करने वाले लोग भी अब इस मामले पर अपनी राय जाहिर कर रहे हैं।
 
राम जन्मभूमि के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा कि राज्यों की सरकारें पीएम मोदी के बयान से सीख लें। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं। जनता को सारी सुविधा देने की जिम्मेदारी केंद्र और प्रदेश सरकार की है। अक्सर दिवाली के दिन बिजली चली जाती है। मैं मोदी के बयान का समर्थन करता हूं कि सभी पर्वों पर समान व्यवस्था होनी चाहिए। 
 
ईद-बकरीद पर अनिवार्य रूप से बिजली की व्यवस्था होती है लेकिन किसी भी सरकार ने ऐसा नहीं सोचा कि हिन्दुओं के त्योहार होली, दिवाली और रामनवमी का सम्मान करते हुए समान रूप से व्यवस्था दी जाए जिससे कि हिन्दू समाज के लोग भी अपने त्योहार हर्ष और उलास से मना सकें और इस विषय पर केंद्र सरकार के साथ राज्य की सरकारों को भी सीख लेनी चाहिए।
 
हर गांव में कब्रिस्तान की व्यवस्था होती है लेकिन हिन्दू समाज के लिए श्मशान की व्यवस्था नहीं होती और शवों के अंतिम संस्कार के लिए लोगों को लंबी दूरी तक जाना पड़ता है। अगर गांव के बाहर श्मशान की व्यवस्था हो तो इसमें बुरा क्या है। अयोध्या का संत समाज प्रधानमंत्री मोदी के बयान का स्वागत करता है।
 
एक धर्मनिरपेक्ष देश में अगर सभी धर्मों को समान सम्मान मिले तो बुरा क्या है? शनि पीठाधीश्वर हरिदयाल मिश्र अयोध्या के प्रसिद्ध संत और शनि पीठाधीश्वर आचार्य हरिदयाल मिश्र ने कहा कि मैं पीएम नरेन्द्र मोदी के बयान का समर्थन करता हूं। 
 
संविधान में यह धर्म निरिपेक्ष देश है जिस तरह से मुस्लिम समाज के त्योहारों में बिजली पानी की व्यवस्था होती है उसी प्रकार से हिन्दू समाज के त्योहारों में बिजली पानी की व्यवथा होनी चाहिए। अगर पीएम मोदी यह करने जा रहे हैं तो मेरा हार्दिक अभिन्दन है। 
 
गांव में श्मशान की व्यवथा को लेकर पीएम मोदी का बयान सराहनीय है गांव की गरीब जनता को अपने परिजनों के शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए शव या तो कंधे पर कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है या तो पैसे देकर वाहन किराए पर लेने पड़ते हैं अगर गांव के बाहर यह व्यवस्था हो जाए तो गांव के लोगों को आसानी होगी और इस बयान से किसी को कोई आपत्ति क्यूं हो रही है ये विचारधारा तो सबका साथ सबका विकास वाली है। 
 
चुनाव के समय बयान के सवाल पर आचार्य हरिदयाल मिश्र ने कहा कि इस बयान को चुनाव से नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्यूंकि यह चुनाव केंद्र का नहीं है। वैसे भी यह बात किसी एक राज्य पर लागू नहीं होती यह बयान देश के सभी नागरिकों के लिए है। 
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