दी मुअ़ज्ज़न ने अज़ां वस्ल की शब पिछले पहर
दी मुअ़ज्ज़न ने अज़ां वस्ल की शब पिछले पहर हाय कमबख्त को किस वक्त खुदा याद आया-
अज्ञात मुअज़्ज़न - मस्जिदों में अज़ान देने वाला वस्ल - मिलन वस्ल की शब - मिलन की रात कमबख्त - दुर्भाग्यशाली अर्थ - एक मतलब तो प्रकट है कि मिलन की रात में पिछले पहर मुअज्जिन ने किस वक्त अज़ान दी। मगर इसका दूसरा भी मतलब है। किसी भी घटना की टाइमिंग से खुश अथवा नाराज़ हो कर इस शेर को कहा जा सकता है।