WFI के चुनाव टले, बृजभूषण की रिपोर्ट सार्वजनिक ना करने से पहलवान हुए खफा
नई दिल्ली: युवा मामले और खेल मंत्रालय ने सात मई को होने वाले भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के चुनाव सोमवार को रद्द कर दिये।मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया, “45 दिनों के भीतर डब्लूएफआई के चुनाव कराने के लिये आईओए की एक अस्थायी समिति का गठन किया जाये।”इस पत्र में कुश्ती महासंघ पर लगे आरोपों की जांच के लिये गठित निगरानी समिति की रिपोर्ट का भी उल्लेख किया गया। निगरानी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, डब्ल्यूएफआई की कोई आंतरिक शिकायत समिति नहीं थी। साथ ही शिकायत निवारण, डब्ल्यूएफआई और खिलाड़ियों के बीच पारदर्शिता, प्रभावी संचार और परामर्श के लिये भी कोई उचित व्यवस्था मौजूद नहीं थी।
आईओए अध्यक्ष पीटी उषा को भेजे मंत्रालय के पत्र में कहा गया है, … यह समझा जाता है कि कार्यकारी समिति (डब्ल्यूएफआई की) का चुनाव सात मई 2023 को निर्धारित किया गया है। इस संबंध में, वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह आवश्यक है कि उक्त चुनाव प्रक्रिया को रद्द माना जाए और कार्यकारी समिति के नए चुनाव एक तटस्थ संस्था/ निर्वाचन अधिकारी के तहत कराए जाने चाहिए।उन्होंने कहा, … आईओए को एक अस्थाई समिति या तदर्थ समिति का गठन करना चाहिए जो अपने गठन के 45 दिन के भीतर डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी परिषद का चुनाव कराए और डब्ल्यूएफआई के कामकाम का प्रबंधन करे जिसमें खिलाड़ियों का चयन और अगली कार्यकारी समिति के पदभार संभालने से पहले तक की अंतरिम अवधि के लिए अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में खिलाड़ियों की भागीदारी की प्रविष्टियां तैयार करना शामिल है।
उल्लेखनीय है कि विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया सहित कई नामचीन पहलवानों ने जनवरी 2023 में जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करते हुए डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न सहित कई गंभीर आरोप। पहलवानों की मांग थी कि बृजभूषण को पद से हटाकर कुश्ती महासंघ को भंग कर दिया जाये।खेल मंत्रालय ने पहलवानों के विरोध की सनद लेते हुए महासंघ की बागडोर निगरानी समिति को सौंप दी थी और जांच के आदेश भी दिये थे। निगरानी समिति ने खेल मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है, हालांकि पहलवानों का कहना है कि उनकी समस्याओं का निवारण नहीं किया गया है। सभी शीर्ष पहलवान रविवार को विरोध प्रदर्शन के लिये जंतर-मंतर पर फिर से लौट आये हैं।
मंत्रालय के पत्र के अनुसार, कुश्ती एक ओलंपिक खेल है और डब्ल्यूएफआई आईओए से मान्यता प्राप्त है तथा डब्ल्यूएफआई में प्रशासनिक शून्य की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह आईओए के लिए जरूरी है कि वह डब्ल्यूएफआई के प्रबंधन के लिए उपयुक्त अंतरिम व्यवस्था करे जिससे कि पहलवानों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।मंत्रालय ने यह भी खुलासा किया कि आरोपों की जांच के लिए सरकार द्वारा 23 जनवरी को गठित निगरानी समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
मंत्रालय ने कहा, निगरानी समिति ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी है और वर्तमान में इसकी जांच की जा रही है। कुछ प्रमुख निष्कर्षों में यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम, 2013 के तहत विधिवत गठित आंतरिक शिकायत समिति की अनुपस्थिति और शिकायत निवारण के लिए खिलाड़ियों के बीच जागरूकता के लिए पर्याप्त तंत्र की कमी शामिल है।इसमें कहा गया, खिलाड़ियों सहित महासंघ और हितधारकों के बीच अधिक पारदर्शिता और परामर्श की आवश्यकता है। (और) महासंघ और खिलाड़ियों के बीच प्रभावी संवाद की आवश्यकता है।छह सदस्यीय निगरानी समिति में पहलवान बबीता फोगाट और योगेश्वर दत्त, पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी तृप्ति मुरगुंडे, पूर्व साइ अधिकारी राधिका श्रीमन और पूर्व टॉप्स सीईओ राजेश राजगोपालन अन्य सदस्य थे।
गोंडा में 16 अप्रैल को डब्ल्यूएफआई की आपातकालीन आम बैठक और कार्यकारी समिति की बैठक के दौरान बृज भूषण ने पुष्टि की थी कि वह अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगे लेकिन संकेत दिया कि वह महासंघ के भीतर एक नई भूमिका की तलाश कर सकते हैं।बृज भूषण पहले ही 12 साल के लिए डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के रूप में काम कर चुके हैं जिसमें चार साल के तीन कार्यकाल शामिल हैं। वह खेल संहिता के तहत पद के लिए फिर से आवेदन करने के पात्र नहीं हैं।